12 जनवरी, 2011

निकटता कैसी

निकटता कैसी उन सब से ,
जो वही कार्य करते हैं ,
जिसके लिए मना करते हैं ,
हम तो ऐसे लोगों को ,
सिरे से नकार देते हैं ,
प्रतिदिन शिक्षा देते हैं ,
यह करो, यह ना करो ,
पर हैं वे कितने खोखले ,
यह सभी जानते हैं ,
कुछ रहते धुत्त नशे में ,
करते बात नशा बंदी की ,
कई बार झूमते दिख जाते ,
सामाजिक आयोजनों में ,
पर सुबह होते ही ,
करते बात आदर्शों की ,
अखबारों के मुख्य पृष्ठ पर ,
फोटो जब तब छपते हैं ,
हैं कितने कुकृत्यों में लिप्त ,
सभी लोग जानते हैं ,
फिर क्यूँ हो श्रद्धा उन पर ,
जो झूठे आदर्शों की ,
बातें करते हैं ,
गले-गले तक डूबे अनाचार में ,
बात ईमानदारी की करते हैं ,
कई रंग बदलते गिरगिट की तरह ,
उससे कुछ कम नहीं हैं ,
यदि अवसर मिल जाये ,
दलाली तक से नहीं डरते ,
हम क्यूँ ऐसे लोगों में ,
गुणों कि तलाश करें ,
है महत्व क्या ,
ऐसे लोगों की वर्जनाओं का ,
क्या सब नहीं जानते ?
फिर उन्हें आदर्श मान ,
क्यूँ महत्व देते हैं ,
अधिक समझदार हैं वे ,
जो उनसे दूर रहते हैं |


आशा

8 टिप्‍पणियां:

  1. निकटता कैसी उन सब से ,
    जो वही कार्य करते हें ,
    जिसके लिए मना करते हें ,
    हम तो ऐसे लोगों को ,
    सिरे से नकार देते हें ,

    Bahut hi upyogi aur saarthak sandesh. sandesh kyaa ise to nirnay maankr swekarnaa chaahiye. Many - many thanks for suchtype most valuable post.

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  2. अधिक समझदार हैं वे ,
    जो उनसे दूर रहते हैं
    bahut sahi kaha aapne.

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  3. आपकी हर कविता एक सन्देश लिए होती है.. मार्गदर्शन करती है... यह कविता भी प्रेरित कर रही है...

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  4. समाज मैं ऐसे बगुला भगतों की कमी नहीं है जिनकी कथनी और करनी मैं कोई साम्य नहीं होता ! ऐसे लोगों की बातें कतई अनुकरणीय नहीं होतीं ! उल्टे ऐसे लोगों की भरपूर भर्त्सना और बहिष्कार किया जाना चाहिए ! सुन्दर और सार्थक रचना !

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  5. ऐसे महापुरूषो से हमारा समाज भरा पडा है। और हम है के उनसे दुरी बनाने के ब्जाय उनके साथ फोटो खिचवाने मे अपना मान समझते है।
    सार्थक कविता के लिए आभार

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  6. ऐसे लोगों की वर्जनाओं का ,
    क्या सब नहीं जानते ?
    फिर उन्हें आदर्श मान ,
    क्यूँ महत्व देते हैं ,
    अधिक समझदार हैं वे ,
    जो उनसे दूर रहते हैं |
    --
    रचना बहुत ही प्रेरक है!
    शिक्षक तो शिक्षा ही दे सकता है!

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  7. आदरणीय आशा माँ
    नमस्कार !
    ............सार्थक कविता के लिए आभार

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  8. बहुत देर से पहुँच पाया ....माफी चाहता हूँ.

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