13 जनवरी, 2011

अनाथ

माँ मैं तेरी बगिया की ,
एक नन्हीं कली ,
क्यूँ स्वीकार नहीं किया तूने ,
कैसे भूल गई मुझे ,
छोड़ गई मझधार में
तू तो लौट गई
अपनी दुनिया में
मुझे झूला घर में छोड़ गई ,
क्या तुझे पता है ,
जब-जब आँख लगी मेरी ,
तेरी सूरत ही याद आई ,
तेरा स्पर्श कभी न भूल पाई ,
बस मेरा इतना ही तो कसूर था ,
तेरी लड़के की आस पूरी न हुई ,
और मैं तेरी गोद में आई ,
तू कितनी पाषाण हृदय हो गई ,
सारी नफरत, सारा गुस्सा ,
मुझ पर ही उतार डाला ,
मुझे रोता छोड़ गई ,
और फिर कभी न लौटी,
अब मैं बड़ी हो गई हूँ ,
अच्छी तरह समझती हूँ
मेरा भविष्य क्या होगा
मुझे कौन अपनाएगा ,
मैं अकेली
इतना बड़ा जहान ,
कब क्या होगा
इस तक का मुझे पता नहीं है ,
फिर भी माँ तेरा धन्यवाद
कि तूने मुझे जन्म दिया ,
मनुष्य जीवन समझने का
एक अवसर तो मुझे दिया !

आशा

13 टिप्‍पणियां:

  1. फिर भी माँ तेरा धन्यवाद
    कि तूने मुझे जन्म दिया,
    मनुष्य जीवन समझने का
    एक अवसर तो मुझे दिया !

    बहुत सुन्दर रचना| धन्यवाद|

    जवाब देंहटाएं
  2. आदरणीय आशा माँ
    नमस्कार !
    संवेदनशील जज्बातोँ को व्यक्त करती सुन्दर रचना ।

    जवाब देंहटाएं
  3. इस कविता को प्रस्तुत करने के लिए आभार

    जवाब देंहटाएं
  4. आपको और आपके परिवार को मकर संक्रांति के पर्व की ढेरों शुभकामनाएँ !"

    जवाब देंहटाएं
  5. बालमन के विचारों से ओत-प्रोत सुन्दर रचना!
    लोहड़ी और उत्तरायणी की सभी को शुभकामनाएँ!

    जवाब देंहटाएं
  6. आपको और आपके परिवार को मकर संक्रांति के पर्व की ढेरों शुभकामनाएँ
    बहुत सुन्दर रचना|......

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत सुन्दर रचना . लोहड़ी और मकर संक्रांति की शुभकामनायें

    जवाब देंहटाएं
  8. भावपूर्ण कविता के लिए आभार।

    मकर संक्रांति पर्व की शुभकामनाएँ|

    जवाब देंहटाएं
  9. एक मासूम कन्या के मनोभावों का बहुत सुन्दर और सटीक चित्रण ! मकर संक्रांति की हार्दिक शुभकामनायें !

    जवाब देंहटाएं
  10. अतिउत्तम प्रस्तुति
    हार्दिक आभार इतनी सुन्दर कविताओं के लिए
    एक बार इस मंच पर भी अपनी छाप छोड़ें
    www.forums.abhisays.com

    जवाब देंहटाएं

Your reply here: