एक तितली उड़ी
मधु मास में
नीलाम्बर में ,
किसी की तलाश में
था जो सब से प्रिय उसको ,
और बिछड़ गया था
भीड़ भरे संसार में |
वह भटकी जंगल-जंगल
घास के मैदान में
बाग बगीचों में
और न जाने कहाँ-कहाँ |
जब वह नहीं मिल पाया
हुई बहुत उदास
खोजते-खोजते थकने लगी |
तभी संग पवन के
मंद-मंद सुरभि फैली
यही गंघ थी उसकी
जिसे वह खोज रही थी |
खोज हो गई समाप्त
जब मिली उससे वहाँ
सजे सजाए पुष्प गुच्छ में
पास गई गले लगाया
अपना सारा दुःख दर्द सुनाया
तब का जब थी नितांत अकेली
खोज रही थी अपने प्रिय को |
जब दोनों को मिलते देखा
जलन हुई अन्य पुष्पों को
पर एक ने समझाया
जब हैं दोनों ही प्रसन्न
तब जलन हो क्यूँ हम को
आओ ईश्वर से प्रार्थना करें
उन्हें आशीष देने के लिये
जो मिल गए हैं पुनः
इस भीड़ भरे संसार में |
आशा
मौसम के अनुकूल सुन्दर रचना!
जवाब देंहटाएंएक तितली उड़ी
जवाब देंहटाएंमधु मॉस में
नीलाम्बर में ,
किसी की तलाश में
था जो सब से प्रिय उसको ,
और बिछड़ गया था
भीड़ भरे संसार में |
तितली को खुशबु की तलाश है -
सुंदर सन्देश ......!!
शुभकामनायें
आदरणीय आशा माँ
जवाब देंहटाएंनमस्कार !
एक तितली उड़ी
मधु मॉस में
नीलाम्बर में ,
किसी की तलाश में
.........भावपूर्ण कविता के लिए आभार।
आशा माँ "माफ़ी"--बहुत दिनों से आपकी पोस्ट न पढ पाने के लिए ...
जवाब देंहटाएंआदर्णीय आशा जी ,इतनी खूबसूरत कविता को पढ़ कर
जवाब देंहटाएंनि:शब्द हो गई हूँ । आभारी हुँ !
एक तितली उड़ी
जवाब देंहटाएंमधु मॉस में
नीलाम्बर में ,
किसी की तलाश में
था जो सब से प्रिय उसको ,
और बिछड़ गया था
भीड़ भरे संसार में ,...
मन के भावों को इस उड़ान के माध्यम से लिखा है आपने .. सहज अभिव्यक्ति ...
बहुत अच्छी लगी ये कविता।
जवाब देंहटाएंएक तितली उड़ी
जवाब देंहटाएंमधु मॉस में
नीलाम्बर में ,
किसी की तलाश में
bahut achchi lagi.
बहुत सुन्दर भाव भरे हैं।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर रचना!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर एवं मनभावन कविता ! तितली के साथ मेरा मन भी ले उड़ी ! प्यारी रचना के लिये बधाई एवं आभार !
जवाब देंहटाएंबहुत ही भावपूर्ण कविता....
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर भावों से सजी रचना ...
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी लगी |
बसंत के आगमन की आहट के साथ-साथ सद्भावना की पगध्वनि भी गूंज रही है, आपकी इस कविता में।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना, शुभकामनाएं।
प्रेममयी कोमल भावों और शब्दों से सजी प्रस्तुति
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