07 फ़रवरी, 2011

आशा की किरण

नित आती जाती समस्याएँ
उनका निदान या समाधान
कर सकते हो यदि
और सांझा कर सकते हो उनसे
तभी नजदीकियाँ बढ़ाना
वरना ना छेड़ना तार दिल के
बिना बात ना उलझाना
अजनबी सा व्यवहार करके |
है समय बड़ा बलवान
हर पल कीमती है
उसे ही यदि भुला दिया
वह लौट कर ना आएगा |
अपनी उलझनें सुलझाने के लिए
होता हर व्यक्ति सक्षम
सांझा अपनों से होता है गैरों से नहीं
यदि सही सलाह ना दे पाये
साथ रहना क्या आवश्यक है |
जो जाल बुना अपने आसपास
चाहती नहीं उसमें उलझ कर रह जाऊँ
प्रयास यदि कुछ तुम भी करते
कुछ भ्रम मेरे भी टूटते
गुत्थी सुलझाने का अवसर मिलता
तभी समस्या हल होती
आशा की किरण नजर आती
सोये अरमान जगा पाती |

आशा

8 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर रचना ! वाकई सच्चे हमदर्द की पहचान तभी होती है जब आवश्यकता के समय उसका उचित सहयोग और परामर्श मिले ! सार्थक लेखन के लिये बधाई एवं शुभकामनायें !

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  2. आदरणीय आशा माँ
    नमस्कार !
    कोमल भावों से सजी ..
    ..........दिल को छू लेने वाली प्रस्तुती

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  3. बेहद खूबसूरत रचना. आभार.
    सादर,
    डोरोथी.

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  4. आपको वसंत पंचमी की ढेरों शुभकामनाएं!
    सादर,
    डोरोथी.

    जवाब देंहटाएं
  5. प्रयास यदि कुछ तुम भी करते
    कुछ भ्रम मेरे भी टूटते
    गुत्थी सुलझाने का अवसर मिलता
    तभी समस्या हल होती
    आशा की किरण नजर आती
    सोए अरमान जगा पाती |
    ehsaason ka bagicha...
    apni rachna 'meri pahchaan' aur 'safalta' vatvriksh ke liye kripya bhejen rasprabha@gmail.com per parichay tasweer blog link ke saath

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