रिश्ते निभाना वही जानता है
जिसने उन्हें कभी पाला हों
गहराई से समझा हों
कभी मन से अपनाया हों |
होती है एक सीमा उनकी
निश्चित होती मर्यादा उनकी
यदि अधिक उन्हें खीचा जाए
असहनीय हों जाते हें
मन व्यथित कर जाते हैं |
होते नाजुक इतने कि
काँच से दरक जाते हें
उसने बहुत करीब से
दरकते रिश्तों को देखा है |
उन्हें किरच किरच हों
बिखरते भी देखा है
उनसे उपजे दर्द को
मन की गहराई मैं
उतरते देखा है |
पर कभी चेहरे पर
कोइ भाव नहीं देखा
लगती निर्विकार
दर्द से बहुत दूर ,
कुचले गए अरमानों पर
नंगे पाँव चल रही है
सुलगती आग से भी
ठंडक का अहसास दिला जाती है|
संसार से दूर बहुत
अपने आप में सिमट गयी है
वह कहीं खो गयी है
भौतिकता वादी दुनिया से
शायद दूर हो गयी है
अपने आप मैं गुम हो गयी है |
आशा
जिसने उन्हें कभी पाला हों
गहराई से समझा हों
कभी मन से अपनाया हों |
होती है एक सीमा उनकी
निश्चित होती मर्यादा उनकी
यदि अधिक उन्हें खीचा जाए
असहनीय हों जाते हें
मन व्यथित कर जाते हैं |
होते नाजुक इतने कि
काँच से दरक जाते हें
उसने बहुत करीब से
दरकते रिश्तों को देखा है |
उन्हें किरच किरच हों
बिखरते भी देखा है
उनसे उपजे दर्द को
मन की गहराई मैं
उतरते देखा है |
पर कभी चेहरे पर
कोइ भाव नहीं देखा
लगती निर्विकार
दर्द से बहुत दूर ,
कुचले गए अरमानों पर
नंगे पाँव चल रही है
सुलगती आग से भी
ठंडक का अहसास दिला जाती है|
संसार से दूर बहुत
अपने आप में सिमट गयी है
वह कहीं खो गयी है
भौतिकता वादी दुनिया से
शायद दूर हो गयी है
अपने आप मैं गुम हो गयी है |
आशा
दर्द से बहुत दूर |
जवाब देंहटाएंकुचले गए अरमानों पर
नंगे पाँव चल रही है
सुलगती आग से भी
ठंडक का अहसास दिला जाती है|
ओह बहुत मार्मिक और संवेदनशील रचना ...
होली की शुभकामनायें
रिश्ते निभाना वही जानता है
जवाब देंहटाएंजिसने उन्हें कभी पाला हों
बहुत सही लिखा आपने.
आप को सपरिवार होली की हार्दिक शुभ कामनाएं.
सादर
आदरणीय आशा दी ,
जवाब देंहटाएंबहुत संवेदनशील पंक्तियां ...
आपको सपरिवार होली शुभ हो ....
रिश्ते कांच से भी नाजुक होते हैं ,सुंदर अभिव्यक्ति |
जवाब देंहटाएंआदरणीय आशा माँ
जवाब देंहटाएंनमस्कार !
बहुत संवेदनशील
होली के पर्व की अशेष मंगल कामनाएं। ईश्वर से यही कामना है कि यह पर्व आपके मन के अवगुणों को जला कर भस्म कर जाए और आपके जीवन में खुशियों के रंग बिखराए।
होली की हार्दिक शुभ कामनाएं आपको और आपके पूरे परिवार को
जवाब देंहटाएंबहुत मार्मिक अभिव्यक्ति!
जवाब देंहटाएंआपको होली की बहुत बहुत शुभकामनाएँ!
बहुत सुन्दर रचना है ! किसकी चर्चा कर गयी हैं इस रचना में ! बहुत ही सशक्त अभिव्यक्ति ! होली की हार्दिक शुभकामनायें !
जवाब देंहटाएंआपको सपरिवार होली की हार्दिक शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंहोते नाजुक इतने कि
जवाब देंहटाएंकाँच से दरक जाते हें
उसने बहुत करीब से
दरकते रिश्तों को देखा है |
बिल्कुल सही कहा आपने .बड़े अजीबोगरीब होते हैं ये रिश्ते.
नेह और अपनेपन के
जवाब देंहटाएंइंद्रधनुषी रंगों से सजी होली
उमंग और उल्लास का गुलाल
हमारे जीवनों मे उंडेल दे.
आप को सपरिवार होली की ढेरों शुभकामनाएं.
सादर
डोरोथी.
कभी चेहरे पर
जवाब देंहटाएंकोइ भाव नहीं देखा
लगती निर्विकार
दर्द से बहुत दूर .....
मार्मिक और संवेदनशील रचना ...
spandan hai kavita men ..
जवाब देंहटाएंचर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी प्रस्तुति मंगलवार 22 -03 - 2011
जवाब देंहटाएंको ली गयी है ..नीचे दिए लिंक पर कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया ..
http://charchamanch.uchcharan.com/
रिश्तों की गहराई और निभाना वही समझ सकता है जो इन रिश्तों को जीता है ..
जवाब देंहटाएंसुन्दर !
एक वक्त ऐसा आता है जब वो अपने आप से भी दूर हो जाती है…………मानवीय संवेदनाओ को बखूबी संजोया है।
जवाब देंहटाएंबहुत ही मार्मिक एवं संवेदनाओं से पूर्ण रचना ....
जवाब देंहटाएंकृतार्थ हुआ ....
इस भौतिकवादी दुनिया में बहुत कुछ खो गया है
जवाब देंहटाएंVery touching !
जवाब देंहटाएंbahut marmik chitran kiya hai jisko bhi ingati kar ke kiya hai. bahut sashakt rachna.
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