बहारों ने दी थी दस्तक
इस घर के दरवाजे पर
पैर पसारे थे खुशियों ने
छोटी सी कुटिया के अंदर |
पैर पसारे थे खुशियों ने
छोटी सी कुटिया के अंदर |
लाल जोड़े मैं सजधज कर
जब रखा पहला कदम ,
अनेक स्वप्न सजाए थे
आने वाले जीवन के |
जब रखा पहला कदम ,
अनेक स्वप्न सजाए थे
आने वाले जीवन के |
था मेंहदी का रंग लाल
प्यार का उड़ता गुलाल ,
सारे सुख सारे सपने
सिमट गए थे बाहों में |
वह मंजर ही बदल गया
जब झूमता झामता वह आया ,
गहरी चोट लगी मन को
जब यथार्थ सामने आया |
कारण जब जानना चाहा
उत्तर था बड़ा सटीक ,
रोज नहीं पीता हूँ
खुश था इसी लिए थोड़ी ली है |
पीने का क्रम ,
गम गलत करने का क्रम
अनवरत बढ़ता गया
सामान तक बिकने लगा |
हाला का रंग ऐसा चढ़ा
पीना छूट नहीं पाया ,
रोज रोज कलह होती थी
रात भर ना वह सोती थी |
बिखर गए सारे सपने
अरमानों की चिता ज़ली
कल्पनाएँ झूठी निकलीं
बस रह गयी यह
तस्वीर उजड़े घर की |
आशा
प्यार का उड़ता गुलाल ,
सारे सुख सारे सपने
सिमट गए थे बाहों में |
वह मंजर ही बदल गया
जब झूमता झामता वह आया ,
गहरी चोट लगी मन को
जब यथार्थ सामने आया |
कारण जब जानना चाहा
उत्तर था बड़ा सटीक ,
रोज नहीं पीता हूँ
खुश था इसी लिए थोड़ी ली है |
पीने का क्रम ,
गम गलत करने का क्रम
अनवरत बढ़ता गया
सामान तक बिकने लगा |
हाला का रंग ऐसा चढ़ा
पीना छूट नहीं पाया ,
रोज रोज कलह होती थी
रात भर ना वह सोती थी |
बिखर गए सारे सपने
अरमानों की चिता ज़ली
कल्पनाएँ झूठी निकलीं
बस रह गयी यह
तस्वीर उजड़े घर की |
आशा
काश पीने वाले समझें की उनके पीने से दूसरों पर क्या असर पड़ रहा है |
जवाब देंहटाएंसीख देती हुई रचना .
पीना छूट नहीं पाया ,
जवाब देंहटाएंरोज रोज कलह होती थी
रात भर ना वह सोती थी |
बिखर गए सारे सपने
यही हाल होता है जब कोई व्यक्ति अपनी आदतों को नहीं छोड़ पाता किसी के अरमान बिखर जाते हैं
hmmm!! maikhana kabhi chhuta hai kya!!
जवाब देंहटाएंitna pyara sa photo aapne select kiya di:)
आदरणीय आशा माँ
जवाब देंहटाएंनमस्कार !
.....काश पीने वाले समझें
पीने का क्रम ,
जवाब देंहटाएंगम गलत करने का क्रम
अनवरत बढ़ता गया... pinewalon ko pine ka bahana ... ghar phir kahan ! use to pi jata hai aadmi
पीने का क्रम ,
जवाब देंहटाएंगम गलत करने का क्रम
अनवरत बढ़ता गया
aur dookhon ki shuruaat ho gayee.....kash kuch log prerna le pate....
ऐसे किसी के घर के उजडने का दृश्य साकार हो गया ..
जवाब देंहटाएंअरमानों की चिता जाली
कल्पनाएँ झूटी निकलीं
जाली -- जली
झूटी -- झूठी कर लें ..
सार्थक सन्देश देती रचना
संगीता जी ,नमस्ते
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद गलती सुधरवाने के लिए |इसी प्रकार सुधार करवाती रहें |साधना भी यही करती है |आपकी
आशा
जी हाँ!
जवाब देंहटाएंआपने बहुत सटीक रचना लिखी है!
अति तो सभी चीज की बुरी होती है!
कटु यथार्थ को साकार करती बहुत ही सारगर्भित प्रस्तुति ! बहुत ही प्रेरणादायी रचना ! काश पीने वाला इंसान अपने स्वजनों की पीड़ा को भी कभी महसूस कर पाता ! आँखें खोलने वाली रचना के लिये बधाई एवं शुभकामनायें !
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