17 अप्रैल, 2011

चिंगारियां दबी रहने दो


आपस की बातों को
बातों तक ही रहने दो
जो भी छिपा है दिल में
उजागर ना करो
नाकाम मोहब्बत
परदे में ही रहने दो |
वक्त के साथ बहुत
आगे निकल गये हें
याद ना करें पिछली बातें
सब भूल जाएं हम |
कोशिश भुलाने की
दिल में छिपी आग को
ओर हवा देती है
यादें बीते कल को
भूलने भी नहीं देतीं |
हें रास्ते अलग अपने
जो कभी न मिल पाएंगे
हमारे बीच जो भी था
अब जग जाहिर न हों |
बढ़ती बेचैनी को
और न भड़कने दो
हर बात को तूल न दो
चिंगारियां दबी रहने दो |
आशा




11 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत कुछ छुपा रहे वही अच्छा है ..अच्छी सीख देती सार्थक रचना

    जवाब देंहटाएं
  2. यादें बीते कल को भूलने नहीं देती ,
    मगर भूला रहने दो ...
    सलाह अच्छी है !

    जवाब देंहटाएं
  3. भूलना और यादों से पीछा छुड़ा लेना यदि वश में होता तो किसीको कोई समस्या ही नहीं होती ! इसलिये यही अच्छा होगा इन्हें प्यार के साथ सहेज कर रखा जाये ! तब ये आनंद भी देंगी और सुकून भी ! बहुत सुन्दर रचना ! बधाई !

    जवाब देंहटाएं
  4. आदरणीय आशा माँ
    नमस्कार !
    बहुत सुन्दर आप की रचनाएँ ,मन को छू जाती हैं

    जवाब देंहटाएं
  5. अच्छी सीख देती सार्थक रचना| धन्यवाद|

    जवाब देंहटाएं
  6. आपस की बातों को
    बातों तक ही रहने दो
    जो भी छिपा है दिल में
    उजागर ना करो
    नाकाम मोहब्बत
    परदे में ही रहने दो |
    jeene ke liye yah bhi zaruri hai

    जवाब देंहटाएं
  7. भूलजाना अगर आसान होता तो कभी जीवन में कोई समस्या नहीं होती |
    नाकाम कामनाए ही हर परेशानी की जड़ होती है |
    सुंदर भावाभिव्यक्ति |

    जवाब देंहटाएं

Your reply here: