29 मई, 2011

कुछ समय आदिवासियों के संग

जब पहली बार साथ गयी
था दिन हाट का
कुछ  सजे संवरे आदिवासी
करने आए थे बाजार
थीं साथ महिलाएं भी |
मैं  दरवाजे की ओट से
देख रही थी  हाट  की रौनक
उन्हें  जैसे ही पता चला
कुछ मिलनें आ गईं
पहले सोचा क्या बात करू
फिर  लोक गीत सुनना चाहे
उनकी मधुरता लयबद्धता
आज  तक भूल नहीं पाई|
थे  गरीब पर मन के धनी
गिलट  के जेवर ही काफी थे
रूप निखारने के लिए
केश विन्यास की विशिष्ट शैली
मन को आकृष्ट कर रही थी |
धीरे से वे पास आईं
घर आने का किया आग्रह
फिर  बोलीं जरूर आना
 स्वीकृति  पा प्रसन्न  हो   चली गईं |
प्रातः काल हुए तैयार
कच्ची सड़क पर उडाती धूल
गराड पर चलती हिचकोले खाती
आगे बढ़ने लगी जीप|
जब मुखिया के घर पहुंचे
हतप्रभ हुए स्वच्छता   देख
था  झोंपडा कच्चा
पर चमक रहा था कांच सा |
द्वार  सजा मांडनों से
भीतरी  दीवार सजी
तीर कमान और गोफन से
मक्का  की रोटी और साग
साथ थी  छाछ  और स्नेह का तडका
वह स्वाद आज तक नहीं भूली  |
दिन ढला शाम आई
फिर  रात में चांदनी  नें पैर पसारे
सज धज कर सब  आए   मैदान में |
ढोल  की थाप पर कदम से कदम मिला
गोल घेरे में मंथर गति से थिरके
नृत्य और  गीतों का समा था ऐसा
पैर रुकने  का नाम न लेते थे |
एक  आदिवासी बाला ने मुझे  भी
  नृत्य में शामिल किया
वह अनुभव भी अनूठा था
रात कब बीत गयी पता ही नहीं चला |
सुबह हुई कुछ बालाओं नें
अपनी विशिष्ट शैली में
मेरा  केश विन्यास किया
कच्चे कांच की मालाओं से सजा
काजल  लगाया  उपहार दिए
वह साज सज्जा आज भी भूली नहीं हूँ
वह  प्यार वह मनुहार
आज भी बसी है  यादों में |
अगली हाट  पर 
भिलाले आदिवासी  भी  आए
बहुत आग्रह से आमंत्रित किया
पर हम नहीं जा पाए
एक  अवसर खो  दिया उनको जानने का
उनका प्रेम पाने का |
आशा



























15 टिप्‍पणियां:

  1. आदिवासियों के सांग उनके नृत्य का अनुभव मैंने भी लिया है ...आपने सजीव चित्रण प्रस्तुत किया

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  2. बस्तर के आदिवासियों के संग एक शाम और नृत्य का आनन्द बहुत बरस पहले लिया था. आज उन्हीं यादों को तरोताजा कर गई आपकी रचना. आभार.

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  3. सुंदर विवरण है,
    आदिवासी संस्कृति का
    आभार

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  4. अपनी गौरवशाली संस्कृति और निर्मल निश्च्छल आतिथ्य सत्कार का आनंद उठाना हो तो भारत के ग्राम्य जीवन के दर्शन करना आवश्यक है ! सच्चा भारत वहीं बसता है ! महानगरों में तो केवल सतही व्यवहार और पूर्व और पश्चिम का अधकचरा विचित्र मेल ही दिखाई देता है ! आपका अनुभव निश्चित रूप से अविस्मरणीय होगा ! आपको बहुत बहुत बधाई !

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  5. सुंदर विवरण,आदिवासी संस्कृति का यह दुःख आपको रहेगा क्यों नहीं जा पाई , अवसर और भी आएंगे !!

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  6. I once had a chance to do tribal dance when I was in school
    and really it was fun.

    I've met them once in a village , they are very innocent and pure people.

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  7. सुन्दर प्रस्तुति , एक अलग संसार होता है आदिवासिओं का, और उनका सानिध्य मिले तो एक सुन्दर अनुभूति होती है हृदय को

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  8. आदिवासियों की सादगी, प्रेम और निश्छलता मैंने भी स्वयं अनुभव की है...बहुत सुन्दर प्रस्तुति..

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  9. आदिवासी संस्कृति का सुंदर विवरण| आभार|

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  10. बहुत सुंदर रचना,सुंदर विवरण व प्रस्तुति
    आभार
    - विवेक जैन vivj2000.blogspot.com

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  11. sajeev chitran kiya hai aapne apne aubhav ka.aapke saath humne bhi us nratya me apne ko aatmsaat kar liya hai kalpna main.bahut achchi smarneeye anubhuti.

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  12. बहुत सुन्दर रचना!
    वर्णमात्मक शैली में सब कुछ कह दिया है आपने!

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  13. हिन्दुस्तान के दर्शन कराने के लिए आभार आशा जी

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