10 मई, 2011

नाता जाने कब का





माँ है धरती
और पिता नीलाम्बर
दूर क्षितिज में
मिलते दौनों
सृष्टि उपजी है दौनों से |
धरा पालती जीवों को
पालन पोषण उनका करती
खुद दुखों तले दबी रहती
उफ नहीं करती |
पर जब क्रोध आता उसको
कम्पित भूकंप से हो जाती
कभी ज्वालामुखी हो
फूटती मुखर होती |
पर फिर धीर गंभीर हो जाती
क्यूं कि वह पृथ्वी है
अपना कर्तव्य जानती है
उसी में व्यस्त हो जाती है |
आकाश निर्विकार भाव लिए
उसे निहारता रहता है
पर वह भी कम यत्न नहीं करता
सृष्टि को सवारने के लिए
जग जगमगाता है
उसी के प्रकाश से |
हर जीव के विकास में
होता पूर्ण सहयोग दौनों का
रात्री में चाँद सितारे
देते शीतलता मन को
और विश्रान्ति के उन पलों को
कर देते अधिक सुखद |
दौनों ही संसार के
संचालन में जुटे हैं
गाड़ी के दो पहियों की तरह
एक के बिना
दूसरा लगता अर्थ हीन सा
अधूरा सा
हैं दौनों जीवन के दाता
पञ्च तत्व के निर्माता
है ना जाने उनका
नाता जाने कब का |

आशा









प्रस्तुतकर्ता आशा पर २:०६ अपराह्न

2 टिप्पणियाँ:

SAJAN.AAWARA ने कहा

ANMOL , SATAY KA GYAN KRATI EK KAVITA. . . . . . JAI HIND JAI BHARAT

९ मई २०११ १:०३ अपराह्न टिप्पणी हटाएँ">

विजय रंजन ने कहा

माँ है धरती
और पिता नीलाम्बर
दूर क्षितिज में
मिलते दौनों
सृष्टि उपजी है दौनों से |
Bahut sateek Aasha ji...ek dusre ke bina jeevan ki gari nahi chalti

९ मई २०११ १:१२ अपराह्न टिप्पणी हटाएँ">

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14 टिप्‍पणियां:

  1. आशा जी आप मेरे ब्लॉग पर आयीं इसके लिए बहुत आभार आपका.
    आपकी सुन्दर रचना से मन प्रसन्न हों गया.प्रेरणास्पद हैं आपके ये शब्द
    'क्यूं कि वह पृथ्वी है
    अपना कर्तव्य जानती है
    उसी में व्यस्त हो जाती है'

    जवाब देंहटाएं
  2. आदरणीय आशा माँ
    नमस्कार
    एक और सुन्दर कविता आपकी कलम से !
    .......सुन्दर रचना

    जवाब देंहटाएं
  3. हैं दौनों जीवन के दाता
    पञ्च तत्व के निर्माता
    है ना जाने उनका
    नाता जाने कब का |
    आदरणीया आशा जी धरती और गगन के बीच रिश्ता ढूँढना अच्छा लगा बधाई

    जवाब देंहटाएं
  4. माँ है धरती
    और पिता नीलाम्बर
    दूर क्षितिज में
    मिलते दौनों
    सृष्टि उपजी है दौनों से |
    सुन्दर बिम्बों से सजी बहुत सुन्दर रचना ! कल्पना की यह उड़ान बहुत अच्छी लगी ! बधाई !

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत ख़ूबसूरत और भावपूर्ण रचना लिखा है आपने! उम्दा प्रस्तुती! बधाई!

    जवाब देंहटाएं
  6. bilkul sahi kaha Asha ji mata pita prakarti ki tarah hi mahaan hote hain.bahut achche bhaav se autprot hai yeh prastuti.

    जवाब देंहटाएं
  7. हैं दौनों जीवन के दाता
    पञ्च तत्व के निर्माता
    है ना जाने उनका
    नाता जाने कब का |

    बहुत सुन्दर भावमयी रचना..आभार

    जवाब देंहटाएं
  8. आदरणीया आशा जी कितनी सुन्दर तुलनात्मक रचना माँ और पिता धरती और आकाश माँ का प्रेम माँ का गुस्सा भूकंप ज्वालामुखी उधर शांत पिता निहारता मजा आ गया निम्न बहुत ही महत्वपूर्ण

    दौनों ही संसार के
    संचालन में जुटे हैं
    गाड़ी के दो पहियों की तरह
    एक के बिना
    दूसरा लगता अर्थ हीन सा
    बधाई हो
    शुक्ल भ्रमर ५

    जवाब देंहटाएं
  9. ब्लॉग पर आ कर प्रोत्साहित करने के लिए बहुत बहुत आभार |
    आशा

    जवाब देंहटाएं
  10. धरा अम्बर का है साथ सदियों पुराना ,
    धरती माँ है तो आकाश पिता हमारा|
    अति सुंदर भावाभिव्यक्ति|

    जवाब देंहटाएं

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