ये अश्रु हैं हिम नद से
यूँ तो जमें रहते हैं
पर थोड़ी ऊष्मा पाते ही
जल्दी से पिघलने लगते हैं |
ले लेते रूप नदी का
कभी बाढ भी आती है
तट बंध तोड़ जाती है
जाने कितने विचारों को
साथ बहा ले जाती है |
तब जल इतना खारा होता है
विचारों के समुन्दर से मिल कर
साथ साथ बह कर
थी वास्तविकता क्या उसकी
यह तक याद नहीं रहता |
अश्रु हैं इतने अमूल्य
व्यर्थ ही बह जाना इनका
बहुत व्यथित करता है
बिना कारण आँखों का रिसाव
मन पर बोझ हो जाता है |
आशा
यूँ तो जमें रहते हैं
पर थोड़ी ऊष्मा पाते ही
जल्दी से पिघलने लगते हैं |
ले लेते रूप नदी का
कभी बाढ भी आती है
तट बंध तोड़ जाती है
जाने कितने विचारों को
साथ बहा ले जाती है |
तब जल इतना खारा होता है
विचारों के समुन्दर से मिल कर
साथ साथ बह कर
थी वास्तविकता क्या उसकी
यह तक याद नहीं रहता |
अश्रु हैं इतने अमूल्य
व्यर्थ ही बह जाना इनका
बहुत व्यथित करता है
बिना कारण आँखों का रिसाव
मन पर बोझ हो जाता है |
आशा
अश्रु हैं इतने अमूल्य
जवाब देंहटाएंव्यर्थ ही बह जाना इनका
बहुत व्यथित करता है
बिना कारण आँखों का रिसाव
मन पर बोझ हो जाता है |
sunder abhivyakti .
ये अश्रु पूरी तरह से निजी धरोहर होते हैं ये मन की तिजोरी में बंद रहें वही उचित है ! किसीके सामने इन्हें प्रदर्शन के लिये निकालना भी नहीं चाहिये ! सुन्दर रचना !
जवाब देंहटाएंअश्रु हैं इतने अमूल्य
जवाब देंहटाएंव्यर्थ ही बह जाना इनका
बहुत व्यथित करता है
सुन्दर रचना !!!!
अश्रु हैं इतने अमूल्य
जवाब देंहटाएंव्यर्थ ही बह जाना इनका
बहुत व्यथित करता है
बिना कारण आँखों का रिसाव
मन पर बोझ हो जाता है |
रचना बहुत बढ़िया लिखी है आपने!
विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
अश्रु हैं इतने अमूल्य
जवाब देंहटाएंव्यर्थ ही बह जाना इनका
बहुत व्यथित करता है
बहुत सही बात कही है आपने दीदी
सच में ... नेह की थोड़ी सी आँच पा कर ये आँसू पिघल जाते हैं ... बहुत भाव पूर्ण रचना ....
जवाब देंहटाएंसुन्दर...अति सुन्दर आशाजी ....
जवाब देंहटाएं---कोइ कहता आंसू हैं ये,
कोइ कहता खारा पानी...
so painful !!
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