22 जुलाई, 2011

वर्षा की पहली फुहार


वर्षा की पहली फुहार
कुछ इस तरह पडी चहरे पर
स्पंदन हुआ ऐसा
लगा आगई बहार बंजर खेतों में |
चमक द्विगुणित हुई
उस मखमली अहसास से
तेजी से हाथ चलने लगे
बोनी करने की आस में |
है कितना सचेत वह
यदि पहले से जानते
कई हाथ जुड़ गए होते
कार्यों के आबंटन में |
अभी भी देर नहीं हुई है
मिल बाँट कर सब होने लगा है
वह स्वप्न में खो गया है
अच्छी फसल की आस में |
जब हरियाली होगी
संतुष्टि का भाव होगा
ना घूमना पडेगा उसे
बहारों की तलाश में |

आशा


16 टिप्‍पणियां:

  1. खुबसूरत है बारिश की फुहार....

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  2. भगवान आपकी आशा पूरी करे और झमाझम वारिश हो ...! हार्दिक शुभकामनायें आपको !

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  3. बरसात के माध्यम से खूबसूरत आशा का संचार किया है आपने.
    सुन्दर प्रस्तुति के लिए आभार.

    मेरे ब्लॉग पर आपके दर्शन से खुशी मिलती है.

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  4. सावन की पहली रिमझिम फुहार ही सूखे मुरझाए मन प्राण में आशा एवं ताज़गी का सचार कर देती है ! ऐसे में हर्षित होना स्वाभाविक है ! सुन्दर रचना एवं सशक्त अभिव्यक्ति !

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  5. वर्षा की पहली फुहार
    कुछ इस तरह पडी चहरे पर
    स्पंदन हुआ ऐसा
    लगा आगई बहार बंजर खेतों में |
    --
    सुन्दर अभिव्यक्ति!

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  6. जब हरियाली होगी
    संतुष्टि का भाव होगा

    सुंदर उपमा देती कविता

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  7. वर्षा के मखमली अहसास से होते हुये फसल की आस तक परिपक्वता ही पहुँच सकती है.
    वह स्वप्न में खो गया है
    अच्छी फसल की आस में |
    जब हरियाली होगी
    संतुष्टि का भाव होगा
    ना घूमना पडेगा उसे
    बहारों की तलाश में |

    जरा गौर से देखियेगा....वह और कोई नहीं अपना हिंदुस्तान ही है जिसका पूरा इकानामिक्स ही इसी फसल पर टिका हुआ है.

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  8. मुझे कविता की कोई समझ नहीं है पर यह कविता सरल शब्दों मे है अर्थ पता चलता है आप के बारे मे जान कर खुशी हुई धन्यवाद

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  9. बेहद खूबसूरत अभिव्यक्ति. आभार.
    सादर,
    डोरोथी.

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