तू गुलाब का फूल
मैं काँटा उसी डाल का
है तू प्रेम का प्रतीक
और मैं उसकी नाकामी का |
दौनों के अंतर को
पाटा नहीं जा सकता
है इतनी गहरी खाई
कोइ पार नहीं कर पाता|
फिर भी तुझे पाने की आशा
हर व्यक्ति को होती है
मुझे देख भय लगता है
कभी विरक्ति भी होती है |
गुलाब तुझे पता नहीं
मैं दुश्मन प्रेम का नहीं
तेरे पास रहता हूँ
तुझे बचाने के लिए |
चाहता हूँ यही
खुशबू तेरी बनी रहे
प्रेम का प्रतीक तू
ऐसा ही सदा ही बना रहे |
आशा
खूबसूरत कविता.... कांटे के बारे में नए तरह का विचार
जवाब देंहटाएंरफीकों से रकीब अच्छे हैं जो जल कर नाम लेते हैं
जवाब देंहटाएंगुलों से खार अच्छे हैं जो दामन थाम लेते हैं !
काँटों की ओर से उनकी मन:स्थिति का मार्मिक चित्रण किया है ! अति सुन्दर ! बधाई !
बहुत सुन्दर रचना ... कांटे न होते तो गुलाब सुरक्षित कैसे रहता ...
जवाब देंहटाएं@ साधना जी ,
सटीक अशआर कहा है ..
कांटे के महत्व को दर्शाती सुंदर कविता।
जवाब देंहटाएंफूल और काँटों का साथ,
जवाब देंहटाएंयही तो है जीवन की सौगात!
सच है ... कंटें न होँ तो गुलाब डाली पर देर तक नहीं रह पायेगा ... अच्छी कल्पना है ..
जवाब देंहटाएंकाँटों की ओर से उनकी मन:स्थिति का मार्मिक चित्रण|खूबसूरत कविता|
जवाब देंहटाएंखूबसूरत भाव चित्रण ...शुभकामनायें आपको !
जवाब देंहटाएंअद्भुत खूबसूरत रचना! आपकी लेखनी की जितनी भी तारीफ़ की जाए कम है!
जवाब देंहटाएंसच्चे प्यार का प्रतीक...वो कांटा ....जिसे पूर्ण अभिव्यक्ति के साथ लिखा गया .......बहुत खूब
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