है प्यार क्या
उसका अहसास क्या
तुम कैसे जानोगे
जब तुमने किसी से
प्यार किया ही नहीं |
पिंजरे में बंद पक्षी की वेदना
कैसे पहचानोगे
जब तुमने ऐसा जीवन
कभी जिया ही नहीं |
उन्मुक्त पवन सा बहना भी
तुम समझ ना पाओगे
क्यूँ कि
ए .सी .कमरे की हवा में
जिसमें पूरा दिन बिताते हो
उस जैसा प्रवाह कहाँ |
बाह्य आडम्बरों में लिप्त तुम
भावनाएं किसी की
कैसे समझोगे
हो प्रकृति से दूर बहुत
आधुनिकता की दौड़ में
सबको पीछे छोड़आए हो |
प्यार और दैहिक भूख
के अंतर को
कैसे जान पाओगे
जब सात्विक प्यार के
अहसास को
दिल से न लगाओगे |
आशा
उसका अहसास क्या
तुम कैसे जानोगे
जब तुमने किसी से
प्यार किया ही नहीं |
पिंजरे में बंद पक्षी की वेदना
कैसे पहचानोगे
जब तुमने ऐसा जीवन
कभी जिया ही नहीं |
उन्मुक्त पवन सा बहना भी
तुम समझ ना पाओगे
क्यूँ कि
ए .सी .कमरे की हवा में
जिसमें पूरा दिन बिताते हो
उस जैसा प्रवाह कहाँ |
बाह्य आडम्बरों में लिप्त तुम
भावनाएं किसी की
कैसे समझोगे
हो प्रकृति से दूर बहुत
आधुनिकता की दौड़ में
सबको पीछे छोड़आए हो |
प्यार और दैहिक भूख
के अंतर को
कैसे जान पाओगे
जब सात्विक प्यार के
अहसास को
दिल से न लगाओगे |
आशा
पिंजरे में बंद
जवाब देंहटाएंपक्षी की वेदना
कैसे पहचानोगे
जब तुमने ऐसा जीवन
कभी जिया ही नहीं |
... bahut hi gahri prastuti
आदरणीय आशा माँ
जवाब देंहटाएंनमस्कार !
गहन अभिव्यक्ति ...... बहुत कमाल का बिम्ब चुना आपने...
bahut sundar kavita....
जवाब देंहटाएंहो प्रकृति से दूर बहुत
जवाब देंहटाएंआधुनिकता की दौड़ में
सबको पीछे छोड़आए हो |
प्यार और दैहिक भूख
के अंतर को
कैसे जान पाओगे
सटीक और खूबसूरत रचना.
जी बिलकुल सही फरमाया है आपने, सुन्दर रचना.
जवाब देंहटाएंपिंजरे में बंद
जवाब देंहटाएंपक्षी की वेदना
कैसे पहचानोगे
जब तुमने ऐसा जीवन
कभी जिया ही नहीं
bahut khoob likha hai.....
भावना और यथार्थ के अंतर को बड़ी खूबसूरती से अभिव्यक्त किया है ! बहुत ही सार्थक एवं सशक्त रचना ! बधाई !
जवाब देंहटाएंहो प्रकृति से दूर बहुत
जवाब देंहटाएंआधुनिकता की दौड़ में
सबको पीछे छोड़आए हो |
प्यार और दैहिक भूख
के अंतर को
कैसे जान पाओगे
जब सात्विक प्यार के
अहसास को
दिल से न लगाओगे |
बहुत सुन्दर...बहुत-बहुत आभार
सबको पीछे छोड़आए हो
जवाब देंहटाएंजीवन को बहुत ही सलीक़े से उतारती हैं आप अपनी कविताओं में
प्यार की गहन अभिवयक्ति....
जवाब देंहटाएंbhaut hi sunder prstuti...
जवाब देंहटाएंsambednaon ko jagane wali sambedansheel rachna...apke sneh bristi ki kuch bundein hi sahi mile to ham badhe manobal se likhenge..apne blog pe sadar amantran ke sath
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