उस दिन जब आँख खुली
प्रथम किरण सूरज की
जैसे ही चेहर पर पड़ी
दमकने लगा
वह और अधिक |
आँखें झुकी वह शरमाई
उसे देख कर सकुचाई
खोजी नजर जब उधर गयी
प्यार भरे नयनों से देखा
धीमें से वह मुस्काई |
जो संकेत नयनों से मिले
मन की भाषा पढ़ पाया
पहले प्यार की पहली सुबह
और उष्मा उसकी
अपने मन मैं सजा पाया |
आशा
प्रथम किरण सूरज की
जैसे ही चेहर पर पड़ी
दमकने लगा
वह और अधिक |
आँखें झुकी वह शरमाई
उसे देख कर सकुचाई
खोजी नजर जब उधर गयी
प्यार भरे नयनों से देखा
धीमें से वह मुस्काई |
जो संकेत नयनों से मिले
मन की भाषा पढ़ पाया
पहले प्यार की पहली सुबह
और उष्मा उसकी
अपने मन मैं सजा पाया |
आशा
बहुत ही बढ़िया।
जवाब देंहटाएं-----------
कल 24/08/2011 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!
आज 23 - 08 - 2011 को आपकी पोस्ट की चर्चा यहाँ भी है .....
जवाब देंहटाएं...आज के कुछ खास चिट्ठे ...आपकी नज़र .तेताला पर
____________________________________
सुन्दर...बधाई
जवाब देंहटाएंकोमल भावो से सजी सुन्दर अभिव्यक्ति...
जवाब देंहटाएंबहुत कोमल भावों को सहेजा है ..सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर पंक्तियाँ ! फूलों की पांखुरी सी कोमल और सुरभित ! बधाई एवं शुभकामनायें !
जवाब देंहटाएंबहुत ही भावनात्मक रचना....
जवाब देंहटाएंbhaut acchi rachna....
जवाब देंहटाएंबहुत कोमल, बहुत मधुर कविता...
जवाब देंहटाएंपहला प्यार पता चल जाए तो इससे अच्छा क्या ... बहुत लाजवाब ...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्यार का चित्रण |
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना |
खूबसूरत से एहसास...
जवाब देंहटाएंशब्द शब्द ....रस में डूबा ....प्यार भरी रचना
जवाब देंहटाएंएक रचना , कोमल भावों से सजी .... बधाई ...
जवाब देंहटाएंबहुत ही प्यारी और खुबसूरत रचना ..
जवाब देंहटाएं