वे आँखें क्या जो झुक जायें
मन में है क्या, न बता पायें
पर मनोभाव पढ़ने के लिए
होती आवश्यक नज़र पारखी |
भावों की अभिव्यक्ति के लिये
होती है कलम आवश्यक
वह कलम क्या जो रूक जाये
भावों को राह न दे पाये |
मन में उठते भावों को यदि
लेखनी का सानिध्य मिले
सशक्त लेखनी से जब
शब्दों को विस्तार मिले
वह दृष्टि क्या, जो न पढ़ पाये
उनका अर्थ न समझ पाये |
आशा
मन में है क्या, न बता पायें
पर मनोभाव पढ़ने के लिए
होती आवश्यक नज़र पारखी |
भावों की अभिव्यक्ति के लिये
होती है कलम आवश्यक
वह कलम क्या जो रूक जाये
भावों को राह न दे पाये |
मन में उठते भावों को यदि
लेखनी का सानिध्य मिले
सशक्त लेखनी से जब
शब्दों को विस्तार मिले
वह दृष्टि क्या, जो न पढ़ पाये
उनका अर्थ न समझ पाये |
आशा
वह दृष्टि क्या, जो न पढ़ पाये
जवाब देंहटाएंउनका अर्थ न समझ पाये |बहुत ही सुन्दर....
आँखो पर लिखी हुई एक शानदार अभिव्यक्ति!
जवाब देंहटाएंbehtreen prstuti....
जवाब देंहटाएंकविता अच्छी लगी ।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति|
जवाब देंहटाएंAsha ji
जवाब देंहटाएंsundar rachna ke liye badhai sweekaren.
मेरी १०० वीं पोस्ट , पर आप सादर आमंत्रित हैं
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ब्लॉग पर यह मेरी १००वीं प्रविष्टि है / अच्छा या बुरा , पहला शतक ! आपकी टिप्पणियों ने मेरा लगातार मार्गदर्शन तथा उत्साहवर्धन किया है /अपनी अब तक की " काव्य यात्रा " पर आपसे बेबाक प्रतिक्रिया की अपेक्षा करता हूँ / यदि मेरे प्रयास में कोई त्रुटियाँ हैं,तो उनसे भी अवश्य अवगत कराएं , आपका हर फैसला शिरोधार्य होगा . साभार - एस . एन . शुक्ल
इस कविता में आपकी वैचारिक त्वरा की मौलिकता नई दिशा में सोचने को विवश करती है।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर एवं अर्थपूर्ण रचना ! सकारात्मक दिशा में सोचने के लिये प्रेरित करने में सक्षम है ! बधाई !
जवाब देंहटाएंnice poem
जवाब देंहटाएंआदरणीय आशा जी,
जवाब देंहटाएंबेहद खूबसूरत,अर्थपूर्ण रचना बहुत ही अच्छा लिखा है.....
आदरणीय आशा जी आपकी कविता ने ऐसा रंगा हमको की हम इसे कई बार पढ़ के भी तृप्त नहीं हुए ..बहुत भावपूर्ण रचना ...
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया...अच्छी लगी.
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