ऊंची नीची पहाडियां
पगडंडी सकरी सी
मखमली फैली हरियाली
लगती उसे अपनी सी |
बचपन से ही था अकेला
एकांत प्रिय पर मृदुभाषी
भीड़ में भी था एकाकी
कल्पना उसकी साथी |
था गहरा लगाव उसे
प्रकृति की कृतियों से
मन मयूर नाच उठता था
उनके सामीप्य से |
हरी भरी वादियों में
कलकल करता झरना
ऊंचाई से नीचे गिरता
मन चंचल कर देता
जलचर थलचर भी कम न थे
नभचर का क्या कहना
लगता अद्भुद उन्हें देखना
उनमें ही खोए रहना |
था ऐसा प्रभावित उनसे
क्यूँ की वे थे भिन्न मानव से
घंटों गुजार देता वहाँ
तन्मय प्रकृति में रहता |
हर बार कुछ नया लिखता
देता विस्तार कल्पना को
रचनाएँ ऐसी होतीं
परिलक्षित करतीं प्रकृति को |
भावों की बहती निर्झरणी
यादों में बसती जाती
खाली एकांत क्षणों में
आँखों के समक्ष होती |
वह खुशी होती इतनी अमूल्य
जिसे व्यक्त करता
मन चाहे स्वरुप में
खो जाता फिर से प्रकृति में
आशा
पगडंडी सकरी सी
मखमली फैली हरियाली
लगती उसे अपनी सी |
बचपन से ही था अकेला
एकांत प्रिय पर मृदुभाषी
भीड़ में भी था एकाकी
कल्पना उसकी साथी |
था गहरा लगाव उसे
प्रकृति की कृतियों से
मन मयूर नाच उठता था
उनके सामीप्य से |
हरी भरी वादियों में
कलकल करता झरना
ऊंचाई से नीचे गिरता
मन चंचल कर देता
जलचर थलचर भी कम न थे
नभचर का क्या कहना
लगता अद्भुद उन्हें देखना
उनमें ही खोए रहना |
था ऐसा प्रभावित उनसे
क्यूँ की वे थे भिन्न मानव से
घंटों गुजार देता वहाँ
तन्मय प्रकृति में रहता |
हर बार कुछ नया लिखता
देता विस्तार कल्पना को
रचनाएँ ऐसी होतीं
परिलक्षित करतीं प्रकृति को |
भावों की बहती निर्झरणी
यादों में बसती जाती
खाली एकांत क्षणों में
आँखों के समक्ष होती |
वह खुशी होती इतनी अमूल्य
जिसे व्यक्त करता
मन चाहे स्वरुप में
खो जाता फिर से प्रकृति में
आशा
बहुत सुन्दर प्रस्तुति वाह!
जवाब देंहटाएंप्रकृति का सुन्दर नज़ारा जिसे हरेक का मन चाहे ... अच्छी प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंman ko achi lagi ye rachna ...
जवाब देंहटाएंjai hind jai bharat
बहुत अच्छी रचना,बधाई!
जवाब देंहटाएंसुन्दर गीत !
जवाब देंहटाएंआदरणीय आशा माँ
जवाब देंहटाएंनमस्कार !
......प्रकृति का सुन्दर नज़ारा
आपकी हर रचना की तरह यह रचना भी बेमिसाल है !
जवाब देंहटाएं"माफ़ी"--बहुत दिनों से आपकी पोस्ट न पढ पाने के लिए ... !
बेहतरीन रचना।
जवाब देंहटाएंशब्दों का बेहतर तरीके से इस्तेमाल।
बहुत खूबसूरत रचना ! प्रकृति के सम्मोहन से विस्मित विमुग्ध करती अनुपम रचना ! बधाई !
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचना.....
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचना...मेरे ब्लॉग पर भी पधारें .
जवाब देंहटाएंBahut hi sundar prastuti ...
जवाब देंहटाएंMy Blog: Life is Just a Life
My Blog: My Clicks
.
बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंप्रकृति प्रेम को समर्पित सुंदर कविता
जवाब देंहटाएंप्रकृति प्रेम की सुन्दर छटा...बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंसुन्दर चित्रण... सुन्दर गीत...
जवाब देंहटाएंसादर बधाई...
पूरी प्रकृति को ही समेट लिया है। बधाई।
जवाब देंहटाएंदीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं,