हुए बेजार जिंदगी से इतने
हर शै पर पशेमा हुए
था न कोइ कंधा सर टिकाने को
जी भर के आंसू बहाने को |
हर बार ही धोखा खाया
बगावत ने सर उठाया
हमने भी सभी को बिसराया
हार कर भी जीना आया |
है दूरी अब बेजारी से
नफ़रत है बीते कल से
अब कोइ नहीं चाहिए
अपना हमराज बनाने को |
सूखा दरिया आंसुओं का
भय भी दुबक कर रह गया
है बिंदास जीवन अब
और नया अंदाज जीने का |
आशा
हर शै पर पशेमा हुए
था न कोइ कंधा सर टिकाने को
जी भर के आंसू बहाने को |
हर बार ही धोखा खाया
बगावत ने सर उठाया
हमने भी सभी को बिसराया
हार कर भी जीना आया |
है दूरी अब बेजारी से
नफ़रत है बीते कल से
अब कोइ नहीं चाहिए
अपना हमराज बनाने को |
सूखा दरिया आंसुओं का
भय भी दुबक कर रह गया
है बिंदास जीवन अब
और नया अंदाज जीने का |
आशा
shabdo ka sundar prayog...abhar
जवाब देंहटाएंnaya andaz ....bahut sunder likha hai ...
जवाब देंहटाएंbadhai ...
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति |
जवाब देंहटाएंगहरे अहसास।
जवाब देंहटाएंसुन्दर शब्दावली, सुन्दर अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंकृपया मेरी नवीन प्रस्तुतियों पर पधारने का निमंत्रण स्वीकार करें.
जीवन का कटु सत्य है.... जिससे आपने अवगत कराया है....
जवाब देंहटाएंनया अन्दाज़ बहुत बढ़िया रहा!
जवाब देंहटाएंनए अंदाज के साथ सुन्दर प्रस्तुति..मेरे नए पोस्ट पर आपका इंतजार है..धन्यवाद ।
जवाब देंहटाएंयही होना चाहिये ! इसी अंदाज़ से ज़िंदगी को जीना चाहिये ! बहुत बढ़िया और धारदार प्रस्तुति ! आनंद आ गया !
जवाब देंहटाएंजो बीत गई सो बात गई... सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंwaah bahut khub.....
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया....बधाई
जवाब देंहटाएंआपलोगों का धन्यवाद इस ब्लॉग पर आने के लिए |
जवाब देंहटाएंआशा
सूखा दरिया आंसुओं का
जवाब देंहटाएंभय भी दुबक कर रह गया
है बिंदास जीवन अब
और नया अंदाज जीने का |
.kab tak anshu bahane se achha bindas jina...
badiya aas jagati rachna
बहुत सुन्दर प्रविष्टि...वाह!
जवाब देंहटाएंबहुत खूब अंदाज़ है इस तरह जीने का
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