छंद लेखन होगा कठिन यह ,आज तक सोचा न था |
होगी कठिन इतनी परिक्षा ,यही तो जाना न था ||
फिर भी प्रयत्न नहीं छोड़ा ,बार बार नया लिखा |
ना पा सकी सफलता तब भी ,ध्यान मात्रा का रखा ||
यह नहीं सोचा हो गेय भी ,भावना में खो गयी |
गणना में मात्रा की उलझी ,सोचती ही रह गयी ||
सफलता से है दूरी अभी ,आज तक समझा यही |
मन मेरा यह नहीं मानता ,चाहता जाना वहीँ ||
आशा
होगी कठिन इतनी परिक्षा ,यही तो जाना न था ||
फिर भी प्रयत्न नहीं छोड़ा ,बार बार नया लिखा |
ना पा सकी सफलता तब भी ,ध्यान मात्रा का रखा ||
यह नहीं सोचा हो गेय भी ,भावना में खो गयी |
गणना में मात्रा की उलझी ,सोचती ही रह गयी ||
सफलता से है दूरी अभी ,आज तक समझा यही |
मन मेरा यह नहीं मानता ,चाहता जाना वहीँ ||
आशा
खूबसूरत|
जवाब देंहटाएंबधाई स्वीकारें ||
नये लेखन के प्रयास के लिए बधाई
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रयास| बधाई|
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत ही बेहतरीन प्रयास है...
जवाब देंहटाएंबहुत बातें न जानना ही अच्छा होता है .
जवाब देंहटाएंbehtreen pryas....
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंप्रयास जारी रखिये ! एक दिन निर्दोष छंद रचना में भी सफलता ज़रूर मिलेगी ! Keep it up.
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा।
जवाब देंहटाएंlage raho munna bhai....ha.ha.ha.
जवाब देंहटाएं