14 दिसंबर, 2011

छुईमुई

बाग बहार सी सुन्दर कृति ,
अभिराम छवि उसकी |
निर्विकार निगाहें जिसकी ,
अदा मोहती उसकी ||
जब दृष्टि पड़ जाती उस पर ,
छुई मुई सी दिखती |
छिपी सुंदरता सादगी में,
आकृष्ट सदा करती ||
संजीदगी उसकी मन हरती,
खोई उस में रहती |
गूंगी गुडिया बन रह जाती ,
माटी की मूरत रहती ||
यदि होती चंचल चपला सी ,
स्थिर मना ना रहती |
तब ना ही आकर्षित करती ,
ना मेरी हो रहती ||
आशा


18 टिप्‍पणियां:

  1. सुन्दर प्रस्तुति पर हमारी बधाई ||

    terahsatrah.blogspot.com

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  2. सच है शांत और स्थिर व्यक्तित्व ही अधिक प्रभावित करते हैं ! बहुत सुन्दर रचना !

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  3. फुर्सत के दो क्षण मिले, लो मन को बहलाय |

    घूमें चर्चा मंच पर, रविकर रहा बुलाय ||

    शुक्रवारीय चर्चा-मंच

    charchamanch.blogspot.com

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  4. छुई मुई सी लड़की या सच में छुई मुई ... सुन्दर भाव हैं कविता के ..

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  5. छुई मुई सी दिखती |
    छिपी सुंदरता सादगी में,
    आकृष्ट सदा करती ||
    संजीदगी उसकी मन हरती..
    बहुत सुन्दर...

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  6. बहुत खूब शूरत प्यारी रचना,....बधाई

    मेरी नई पोस्ट की चंद लाइनें पेश है....

    नेता,चोर,और तनखैया, सियासती भगवांन हो गए
    अमरशहीद मातृभूमि के, गुमनामी में आज खो गए,
    भूल हुई शासन दे डाला, सरे आम दु:शाशन को
    हर चौराहा चीर हरन है, व्याकुल जनता राशन को,

    पूरी रचना पढ़ने के लिए काव्यान्जलि मे click करे

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