बाग बहार सी सुन्दर कृति ,
अभिराम छवि उसकी |
निर्विकार निगाहें जिसकी ,
अदा मोहती उसकी ||
जब दृष्टि पड़ जाती उस पर ,
छुई मुई सी दिखती |
छिपी सुंदरता सादगी में,
आकृष्ट सदा करती ||
संजीदगी उसकी मन हरती,
खोई उस में रहती |
गूंगी गुडिया बन रह जाती ,
माटी की मूरत रहती ||
यदि होती चंचल चपला सी ,
स्थिर मना ना रहती |
तब ना ही आकर्षित करती ,
ना मेरी हो रहती ||
आशा
अभिराम छवि उसकी |
निर्विकार निगाहें जिसकी ,
अदा मोहती उसकी ||
जब दृष्टि पड़ जाती उस पर ,
छुई मुई सी दिखती |
छिपी सुंदरता सादगी में,
आकृष्ट सदा करती ||
संजीदगी उसकी मन हरती,
खोई उस में रहती |
गूंगी गुडिया बन रह जाती ,
माटी की मूरत रहती ||
यदि होती चंचल चपला सी ,
स्थिर मना ना रहती |
तब ना ही आकर्षित करती ,
ना मेरी हो रहती ||
आशा
सुन्दर प्रस्तुति पर हमारी बधाई ||
जवाब देंहटाएंterahsatrah.blogspot.com
छुईमुई लगी आपकी रचना....
जवाब देंहटाएंadbhud chitra is kavita me... bahut sundar
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंसच है शांत और स्थिर व्यक्तित्व ही अधिक प्रभावित करते हैं ! बहुत सुन्दर रचना !
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंGyan Darpan
.
फुर्सत के दो क्षण मिले, लो मन को बहलाय |
जवाब देंहटाएंघूमें चर्चा मंच पर, रविकर रहा बुलाय ||
शुक्रवारीय चर्चा-मंच
charchamanch.blogspot.com
बहुत सुन्दर ...!
जवाब देंहटाएंछुई मुई सी लड़की या सच में छुई मुई ... सुन्दर भाव हैं कविता के ..
जवाब देंहटाएंछुईमुई सी रचना
जवाब देंहटाएंछुई मुई सी दिखती |
जवाब देंहटाएंछिपी सुंदरता सादगी में,
आकृष्ट सदा करती ||
संजीदगी उसकी मन हरती..
बहुत सुन्दर...
सुन्दर रचना...
जवाब देंहटाएंसादर बधाई...
Well written maa :)
जवाब देंहटाएंbhaut pyari rachna....
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना.
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना.
जवाब देंहटाएंबहुत खूब शूरत प्यारी रचना,....बधाई
जवाब देंहटाएंमेरी नई पोस्ट की चंद लाइनें पेश है....
नेता,चोर,और तनखैया, सियासती भगवांन हो गए
अमरशहीद मातृभूमि के, गुमनामी में आज खो गए,
भूल हुई शासन दे डाला, सरे आम दु:शाशन को
हर चौराहा चीर हरन है, व्याकुल जनता राशन को,
पूरी रचना पढ़ने के लिए काव्यान्जलि मे click करे
umdaa
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