सर्दी का मौसम ,जलता अलाव
बैठे लोग घेरा बना कर
कोइ आता कोइ जाता
बैठा कोइ अलाव तापता |
आना जाना लगा रहता
फिर भी मोह छूट न पाता
क्यूँ कि कड़ी सर्दी से
है गहरा उसका नाता |
एक किशोर करता तैयारी
मार काम की उस पर भारी
निगाहें डालता ललचाई
पर लोभ संवरण कर तुरंत
चल देता अपने मार्ग पर |
कैसा अलाव कैसा जाड़ा
उसे अभी है दूर जाना
अब जाड़ा उसे नहीं सताता
है केवल काम से नाता |
आशा
alaav dekhkar meri to sardi bhag gayi...sundar kavita...
जवाब देंहटाएंकैसा अलाव कैसा जाड़ा
जवाब देंहटाएंउसे अभी है दूर जाना
अब जाड़ा उसे नहीं सताता
है केवल काम से नाता |
सुन्दर प्रेरक प्रस्तुति.
कर्मयोग की आशा जगाती.
नित जीवन से प्रेरित रचना ....
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंpet ki aag kaam ki chinta gareeb ko kanha sardi garmi ka ehsaas dilaati hai.bahut uttam bhaav liye hue yeh rachna.bahut badhia.
जवाब देंहटाएंफिर भी मोह छूट न पाता
जवाब देंहटाएंक्यूँ कि कड़ी सर्दी से
है गहरा उसका नाता |
वाह, कमाल की पंक्तियाँ हैं !
आभार !!!!
यथार्थ ..काम पर जाने वाले लोग कहाँ अलाव पर तापने के लिए रुक पाते हैं ..
जवाब देंहटाएंकैसा अलाव कैसा जाड़ा
जवाब देंहटाएंउसे अभी है दूर जाना
अब जाड़ा उसे नहीं सताता
है केवल काम से नाता |
....बहुत सच...आज किस के पास समय है अलाव के पास बैठ कर हाथ तापने का...
सुन्दर, सार्थक रचना...
जवाब देंहटाएंसादर...
बेहद खुबसूरत..इस जाड़ा में अलाव सी रचना ..
जवाब देंहटाएंयथार्थ को उकेरती बहुत सुन्दर रचना ! सच में कई लोग सख्त सर्दी में भी अलाव तापने जैसी विलासिता के लिये समय नहीं निकाल पाते ! उनके लिये कर्मस्थली की सेवा ही सबसे बड़ी विवशता है जो दो वक्त की रोटी उपलब्ध कराती है ! सुन्दर रचना !
जवाब देंहटाएंalaav ki garmi maza de gayee.....
जवाब देंहटाएंसर्दी के हैं ढंग निराले!
जवाब देंहटाएंwaah bahut khub....sard mousam ka ehsas
जवाब देंहटाएंजाड़े के मौसम में टिप्पणी की गर्माहट और ऊर्जा दे गयी |आप सब का धन्यवाद इस ब्लॉगमें इस रचना पर टिप्पणी करने के लिए |
जवाब देंहटाएंआशा
▬● अच्छा लगा आपकी पोस्ट को देखकर... साथ ही आपका ब्लॉग देखकर भी अच्छा लगा... काफी मेहनत है इसमें आपकी...
जवाब देंहटाएंनव वर्ष की पूर्व संध्या पर आपके लिए सपरिवार शुभकामनायें...
समय निकालकर मेरे ब्लॉग्स की तरफ भी आयें तो मुझे बेहद खुशी होगी...
[1] Gaane Anjaane | A Music Library (Bhoole Din, Bisri Yaaden..)
[2] Meri Lekhani, Mere Vichar..
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