27 दिसंबर, 2011

सुगंधित बयार

है प्रेम क्या उसका अर्थ क्या
वह हृदय की है अभिव्यक्ति
या शब्दों का बुना जाल
या मन में उठा एक भूचाल |
होती आवश्यक संवेदना
आदर्श विचार और भावुकता
किसी से प्रेम के लिए
कैसे भूलें त्याग और करुना
है यह अधूरा जिन के बिना |
कुछ पाना कुछ दे देना
फिर उसी में खोए रहना
क्या यह प्यार नहीं
लगता है यह भी अपूर्ण सा
कब आए किस रूप में आए
है कठिन जान पाना |
जिसने इसे मन में सजाया
इसी में आक्रान्त डूबा
मन में छुपा यही भाव
नयनों से परिलक्षित हुआ |
रिश्तों की गहराई में
दाम्पत्य की गर्माहट में
यदि सात्विक भाव न हो
 तब सात फेरे सात वचन
साथ जीने मरने की कसम
लगने लगते सतही
या मात्र सामाजिक बंधन |
जिसके हो गए उसी में खो गए
रंग में उसी के रंगते गए
क्या यह प्यार नहीं ?
यह है बहुआयामी
और अनंत  सीमा जिसकी
यह तो है सुगन्धित बयार सा
जिसे बांधना सरल नहीं |

10 टिप्‍पणियां:

  1. सुन्दर एवं सार्थक रचना ! मनोभावों की बहुत सशक्त अभिव्यक्ति है !

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  2. जीवन का सार पढ़ने को मिला आपके लिखे शब्दों में ...आभार

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  3. सुगन्धित बयार में मन लहरा उठा .

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  4. मन के भावो को शब्दों में उतर दिया आपने.... बहुत खुबसूरत.....

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  5. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज बुधवार 29 जनवरी 2020 को साझा की गई है...... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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