अहसास उसका इससे भी गहरा
उर में छिपे ग़मों को
बाहर आने नहीं देता |
पहचान हुई जब से
साथ नहीं छोड़ा
साथ चला साये सा
लगने लगी रिक्तता उसके बिना |
है दुनिया बाजार ग़मो का
जगह जगह वे बिकते
कई होते खरीदार
विक्रेता बेच कर चल देते |
कहाँ कहाँ नहीं भटका
अशांत मन लिए
अशांत मन लिए
काँटों के अलावा कुछ न मिला
सीना छलनी हुआ
तब उन्हीं ने साथ दिया |
यदि है यही दस्तूर दुनिया का
हम भी उनका साथ न छोड़ेंगे
छिपा कर दिल में उन्हें
साथ उन्हीं के जी लेंगे |
आशा
बेहतरीन कविता।
जवाब देंहटाएंसादर
प्रशंसनीय ..
जवाब देंहटाएंkalamdaan.blogspot.in
umda...
जवाब देंहटाएंकिसी के साथ जीने से यदि सुख का एहसास मिले तो जीवन भर साथ नहीं छोड़ना चाहिए ... अच्छे भाव लिए रचना ...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति !
जवाब देंहटाएंहम भी उनका
जवाब देंहटाएंसाथ न छोड़ेंगे
छिपा कर दिल में उन्हें
उन्हीं के साथ जी लेंगे |
गहन भाव... आभार
हम भी उनका
जवाब देंहटाएंसाथ न छोड़ेंगे
छिपा कर दिल में उन्हें
उन्हीं के साथ जी लेंगे |very nice.
हम भी उनका
जवाब देंहटाएंसाथ न छोड़ेंगे
छिपा कर दिल में उन्हें
उन्हीं के साथ जी लेंगे |बहुत सुंदर मन के भाव ...
प्रभावित करती रचना ...
बहुत ही सुन्दर ,प्रसंसनीय रचना....
जवाब देंहटाएंSundar rachna...:)
जवाब देंहटाएंpalchhin-aditya.blogspot.in
sunder abhivyakti ...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंघूम-घूमकर देखिए, अपना चर्चा मंच ।
लिंक आपका है यहीं, कोई नहीं प्रपंच।।
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आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा आज बुधवार के चर्चा मंच पर लगाई गई है!
बढ़िया रचना ! जूझने का और मैदान न छोड़ कर डटे रहने का यही जज़्बा होना चाहिये लेकिन हताशा के साथ नहीं आत्मविश्वास के साथ ! सुन्दर रचना !
जवाब देंहटाएंगहन भाव..
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
लगने लगी रिक्तता
जवाब देंहटाएंगम के बिना |
है दुनिया बाजार ग़मो की
सच कहा आपने गम के बिना भी शायद जिंदगी बेरंग हो जाती
मृत्य और दुःख को जितना सोंचेगे उतना ही कष्ट होगा ....जीवन जैसा हैं वैसे ही स्वीकार करके चलेगे ...तभी जीना आसान होगा ....आभार
जवाब देंहटाएंsundar kavita
जवाब देंहटाएंहै दुनिया बाजार ग़मो की
जगह जगह वे बिकते
कई होते खरीदार
विक्रेता बेच कर चल देते