16 फ़रवरी, 2012

दोषी कौन


अर्श से ज़मीन तक
वजूद है तेरा
होता सुखद अहसास
सानिध्य पा तेरा
आता निखार सृष्टि में
देख पावन रूप तेरा
स्वच्छ सुन्दर छवि तेरी
दे जाती खुशी
तुझ में आती विकृति
कर जाती दुखी
दिनों दिन तेरी बदहाली
बढ़ने लगी जब से
कारण खोजा तब पाया
मनुष्य के सिवाय
कोइ और नहीं
है वही सबसे बड़ा
कारक कारण
और खलनायक
तेरी बदहाली का
स्वार्थ सिद्धि के लिए
गिरा इस हद तक
 आगा पीछा 
सोच न पाया
निजी स्वार्थ सबसे ऊपर
जल हो या थल
या विष बुझा वायु मंडल
कारक सब का 
वही दीखता
स्वार्थ से ऊपर उठ कर
जब वही जागृत होगा
 संरक्षण तेरा कर पाएगा
मुक्ति प्रदूषण से मिलेगी 
प्रसन्नता  छलकने लगेगी
तुझ में नई चेतना पा कर |
आशा

10 टिप्‍पणियां:

  1. हाँ आशा जी मानव ही सबसे स्वार्थी प्राणी है विश्व का.
    बहुत अच्छा लिखा है आपने
    Life is Just a Life
    My Clicks
    .

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  2. वाह..बहुत खूबसूरत शब्दों में कुदरती अनुभूति का एहसास

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  3. सच है हम ही जिम्मेदार एवं जवाब देह हैं इस प्रदूषण के लिये....
    कृपया इसे भी पढ़े-
    नेता- कुत्ता और वेश्या(भाग-2)

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  4. पर्यावरण के साथ छेड़छाड़ और बढ़ते प्रदूषण के प्रति चिंता व्यक्त करती बहुत ही सार्थक प्रस्तुति है ! बहुत प्रेरक रचना ! काश इंसान इससे कुछ संदेश ग्रहण कर पाता ! बढ़िया रचना के लिये आभार !

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  5. आपकी पोस्ट आज की ब्लोगर्स मीट वीकली (३१) में शामिल की गई है/आप आइये और अपने विचारों से हमें अवगत करिए /आप इसी तरह लगन और मेहनत से हिंदी भाषा की सेवा करते रहें यही कामना है /आभार /

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