अर्श से ज़मीन तक
वजूद है तेरा
होता सुखद अहसास
सानिध्य पा तेरा
आता निखार सृष्टि
में
देख पावन रूप तेरा
स्वच्छ सुन्दर छवि
तेरी
दे जाती खुशी
तुझ में आती विकृति
कर जाती दुखी
दिनों दिन तेरी बदहाली
बढ़ने लगी जब से
कारण खोजा तब पाया
मनुष्य के सिवाय
कोइ और नहीं
है वही सबसे बड़ा
कारक कारण
और खलनायक
और खलनायक
तेरी बदहाली का
स्वार्थ सिद्धि के
लिए
गिरा इस हद तक
आगा पीछा
सोच न पाया
सोच न पाया
निजी स्वार्थ सबसे
ऊपर
जल हो या थल
या विष बुझा वायु
मंडल
कारक सब का
वही दीखता
वही दीखता
स्वार्थ से ऊपर उठ
कर
जब वही जागृत होगा
संरक्षण तेरा कर
पाएगा
मुक्ति प्रदूषण से
मिलेगी
प्रसन्नता छलकने लगेगी
प्रसन्नता छलकने लगेगी
तुझ में नई चेतना पा
कर |
आशा
हाँ आशा जी मानव ही सबसे स्वार्थी प्राणी है विश्व का.
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा लिखा है आपने
Life is Just a Life
My Clicks
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गहन अभिवयक्ति......
जवाब देंहटाएंbahut achcha likhi hain.....
जवाब देंहटाएंगहरे अर्थ लिए रचना।
जवाब देंहटाएंवाह..बहुत खूबसूरत शब्दों में कुदरती अनुभूति का एहसास
जवाब देंहटाएंसच है हम ही जिम्मेदार एवं जवाब देह हैं इस प्रदूषण के लिये....
जवाब देंहटाएंकृपया इसे भी पढ़े-
नेता- कुत्ता और वेश्या(भाग-2)
पर्यावरण के साथ छेड़छाड़ और बढ़ते प्रदूषण के प्रति चिंता व्यक्त करती बहुत ही सार्थक प्रस्तुति है ! बहुत प्रेरक रचना ! काश इंसान इससे कुछ संदेश ग्रहण कर पाता ! बढ़िया रचना के लिये आभार !
जवाब देंहटाएंbahut badiya prayawan ke prati sachet kar sarthak sandesh deti rachna....
जवाब देंहटाएंbahut hi umsa likhti hai aap,bdhaai
जवाब देंहटाएंआपकी पोस्ट आज की ब्लोगर्स मीट वीकली (३१) में शामिल की गई है/आप आइये और अपने विचारों से हमें अवगत करिए /आप इसी तरह लगन और मेहनत से हिंदी भाषा की सेवा करते रहें यही कामना है /आभार /
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