आई मदमाती ऋतु
फागुन की
चली फागुनी बयार
वृक्षों ने किया
श्रृंगार
हरे पीले वसन पहन
झूमते बयार संग
थाप पर चांग की
थिरकते कदम
फाग की मधुर धुन
कानों में घुलती जाए
पिचकारी में रंग भर
लिए साथ अबीर गुलाल
रंग खेलते बालवृंद
उत्साह और खुशी
छलक छलक जाए
प्रियतम के रंग में
डूबी
भीगी चूनर गौरी की
गोरे गालों की लाली
कुछ कहती नजर आए
उसके नयनों की भाषा
कानों में झुमकों की
हाला
भीगा तन मन
वह विभोर हुई जाए |
आशा
प्रियतम के रंग में डूबी
जवाब देंहटाएंभीगी चूनर गौरी की
गोरे गालों की लाली
कुछ कहती नजर आए
....बहुत खूब! आपने तो अभी से होली का समां बाँध दिया...बहुत सुंदर और भावपूर्ण रचना..आभार
waah! asha ji,rangon se saji behtreen rachna lkhi aap ne
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर फागुनी बयार सी रचना... आभार
जवाब देंहटाएंbahut sunder phaguni bayar ...!!
जवाब देंहटाएंमदिरा पी ली पीली सरसों, फगुनाहट से झूमे ।
जवाब देंहटाएंबार बार बरबस पैरों को, बेहोशी में चूमे ।
होंठो की मादक लाली को, पिचकारी में भरकर-
गली गली चौराहे पर वह, कृष्ण ढूँढ़ती घूमे ।।
दिनेश की टिप्पणी - आपका लिंक
dineshkidillagi.blogspot.com
वाह ..त्यौहार की तैयारी
जवाब देंहटाएंkalamdaan.blogspot.in
chaliye holi ka aagaaj to aapne abhi se kar diya.bahut sundar likha hai aasha ji.
जवाब देंहटाएंसुंदर भावनाओं की अर्थपूर्ण अभिव्यक्ति...
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर और भावपूर्ण रचना| आभार|
जवाब देंहटाएंमाहौल बनने लगा होली का।
जवाब देंहटाएंअरे वाह ! आनंद आ गया इसे पढ़ कर ! होली के रंग तो जब उडेंगे तब उडेंगे लेकिन आपकी रचना ने तो अभी से मन को रंगीन कर दिया ! बहुत सुन्दर रचना है !
जवाब देंहटाएंफागुनी बयार सी सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंbahot sunder....
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