जीवन ने बहुत कुछ सिखाया
पर आत्मसात करने में
बहुत देर हो गयी
हुए अनुभव कई
कुछ सुखद तो कुछ दुखद
पर समझने में
बहुत देर हो गयी
साथ निभाया किसी ने
कोई मझधार में ही छोड़
चला
सच्चा हमदम न मिला
लगा जीवन एक लकीर सा
जिस पर लोग चलते जाते
लीक से हटाना नहीं चाहते
रास्ता कभी सीधा तो कभी
टेढ़ी मेढ़ी पगडंडी
सा
सांस खुली हवा में
लेते
कभी घुटन तंग गलियों की सहते
दृष्टिकोंण फिर भी सबका
एकसा नहीं होता
दृश्य वही होता
पर प्रतिक्रियाएँ भिन्न सब की
लेते दृश्य उसी रूप में
जो मन स्वीकार कर पाता
लकीर जिंदगी की
कहाँ से हुई प्रारम्भ
और कहां तक जाएगी
जान नहीं पाया
है छोर कहाँ उसका
समझ नहीं पाया |
आशा
बहुत सुंदर रचना,,,,,
जवाब देंहटाएंMY RECENT POST,,,,,काव्यान्जलि,,,,,सुनहरा कल,,,,,
आपका नियमित ब्लॉग पर आना बहुत अच्छा लगता है |टिप्पणी हेतु धन्यवाद |
हटाएंआशा
लकीर जिंदगी की
जवाब देंहटाएंकहाँ से हुई प्रारम्भ
और कहां तक जाएगी
जान नहीं पाया
है छोर कहाँ उसका
कोई नहीं समझ पाया... सुन्दर अभिव्यक्ति...सादर
लगा जीवन एक लकीर सा
जवाब देंहटाएंजिस पर लोग चलते जाते
लीक से हटाना नहीं चाहते
रास्ता कभी सीधा तो कभी
टेढ़ी मेढ़ी पगडंडी सा............
बहुत सुंदर आशा जी...
सादर.
अनु
बहुत खूब आंटी!
जवाब देंहटाएंसादर
आपने वर्ड वेरीफिकेशन हटाने का तरीका बहुत सरलता से समझाया धन्यवाद |टिप्पणी हेतु भी धन्यवाद |
हटाएंआशा
सुन्दर सारगर्भित एवं सशक्त रचना ! बहुत बढ़िया !
जवाब देंहटाएंआज गाने तराने पर तुमने बहुत प्यारा गीत डाला था |मुझे तुम्हारे कमेन्ट की उत्सुकता से प्रतीक्षा रहती है |टिप्पणी हेतु धन्यवाद |
हटाएंआशा
जिन्दगी के यथार्थ को बताती सार्थक अभिवयक्ति....
जवाब देंहटाएंटिप्पणी हेतु धन्यवाद |ऐसा ही प्रेम बनाए रखें |
हटाएंआशा
जीवन ने बहुत कुछ सिखाया
जवाब देंहटाएंपर आत्मसात करने में
बहुत देर हो गयी
हुए अनुभव कई
कुछ सुखद तो कुछ दुखद
पर समझने में
बहुत देर हो गयी... और इस देरी का क्या जवाब दें ! बहुत कुछ है इस अभिव्यक्ति में ...
रश्मि जी ,टिप्पणी के लिए आभार आपकी टिप्पणी लिखने के लिए प्रोत्साहित करती है |इसी प्रकार स्नेह बनाए रखें |
हटाएंआशा
क्या बात है!!
जवाब देंहटाएंआपकी यह ख़ूबसूरत प्रविष्टि कल दिनांक 28-05-2012 को सोमवारीय चर्चामंच-893 पर लिंक की जा रही है। सादर सूचनार्थ
इस रंग-बिरंगी दुनिया में सब भरमा जाते हैं !
जवाब देंहटाएंप्रतिभा दीदी आपको अपने ब्लॉग पर देख बहुत अच्छा लगता है |इसी प्रकार स्नेह बनाए रखें |
हटाएंअंसुलझि गुत्थि सा ही रह जाता है जीवन ...
जवाब देंहटाएंसुंदेर रचना ....!!
शुभकामनायें.
अनुपमा जी टिप्पणी के लिए धन्यवाद |
हटाएंआशा
101….सुपर फ़ास्ट महाबुलेटिन एक्सप्रेस ..राईट टाईम पर आ रही है
जवाब देंहटाएंएक डिब्बा आपका भी है देख सकते हैं इस टिप्पणी को क्लिक करें
ज़िंदगी में आने वाले हर लम्हे के गुज़र जाने के बाद ज्यादा तर यही लगता है कि बहुत देर हो गई....सार्थक अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंटिप्पणी हेतु धन्यवाद |
हटाएंआशा
वाह ... बहुत ही अच्छे भाव
जवाब देंहटाएंसदा जी बहुत दिनों बाद आपकी टिप्पणी मिली है अपना स्नेह इसी प्रकार बनाए रखें |
जवाब देंहटाएंआशा
jeevan ke saar ko shabdo mein likh diya ...bahut khub
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