04 अगस्त, 2012

प्रायश्चित

 
प्रातः से संध्या तक
क्या गलत क्या सही आचरण
उस पर चिंतन मनन और आकलन
सरल तो नहीं
यदि स्थिर मन हो कर सोचें
आत्मावलोकन  करें
कुछ तो परिवर्तन होगा
स्वनियंत्रण भी होगा |
वही निश्चित  कर पाएगा
होती क्यूं रुझान
उन कार्यों  के प्रति
जो सर्व मान्य नहीं
उचित और अनुचित में
विभेद क्षमता जागृत तो होगी
पर समय लगेगा
है कठिन विचारों पर नियंत्रण
सही दिशा में जाने का आमंत्रण
पर असंभव भी नहीं
तभी है परम्परा त्रुटियाँ स्वीकारने की
उन सभी कार्यों के लिए
जो हैं उचित की परिधी के बाहर
क्यों न प्रयत्नरत हों अभी से
आदत बना लें समय निर्धारण करें
आत्म बल जागृत होते ही
त्रुटियों पर नियंत्रण होगा
जाने अनजाने यदि हुईं भी
प्रायश्चित की हकदार होंगी |
आशा



4 टिप्‍पणियां:

  1. हर भूल प्रायश्चित की हक़दार होती है..
    बहुत बढ़िया...

    सादर
    अनु

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  2. trutiyon pe niyantran ka poora prayas to hona hee chahiye..phir ho jaaye to wakai prayashit karne ka bidhan to hai hee

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  3. आत्म बल जागृत होने पर त्रुटियों पर अपने आप नियंत्रण होगा,,,,

    RECENT POST काव्यान्जलि ...: रक्षा का बंधन,,,,

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  4. आत्म बल जागृत होते ही
    त्रुटियों पर नियंत्रण होगा
    जाने अनजाने यदि हुईं भी
    प्रायश्चित की हकदार होंगी !

    बिलकुल सही कहा आपने ! आत्मबल को ही सशक्त करने की ज़रूरत है कि त्रुटियों पर काबू पाया जा सके ! प्रायश्चित करने के अवसर ही ना आयें ! सुन्दर रचना के लिये बधाई !

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