24 सितंबर, 2012

अनुरोध



बीती बातें मैं ना भूला
कोशिश भी की मैंने
इंतज़ार मैं कब तक करता
गलत क्या किया मैंने |
   पहले मुझे अपना लिया
    फिर निमिष में बिसरा दिया
   अनुरोध कितना खोखला
    प्रिय आपने यह क्या किया |
है आज बस अनुरोध इतना
घर में आ कर रहिये
रूखा सूखा जो मैं खाता
पा वही संतुष्ट रहिये |
आशा

12 टिप्‍पणियां:

  1. कौन टाल सकेगा ऐसा अनुरोध...

    सुन्दर!!!

    सादर
    अनु

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  2. अगर अनुरोध ऐसा हो तो क्या बात हो सुन्दर रचना

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  3. कितना प्यार भरा खूबसूरत अनुरोध

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  4. आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल २५/९/१२ मंगलवार को चर्चाकारा राजेश कुमारी के द्वारा चर्चा मंच पर की जायेगी आपका वहां स्वागत है

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  5. बहुत सुन्दर ! ऐसा प्यारा नेह निमंत्रण भला कौन ठुकरा सकता है ! आना ही होगा उसे !

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