असफलता और बेचारगी
बेरोजगारी की पीड़ा से
वह भरा हुआ हताशा से
है असंतुष्ट सभी से
दोराहे पर खडा
सोचता किसे चुने
सोच की दिशाएं
विकलांग सी हो गयी
गुमराह उसे कर गयी
नफ़रत की राह चुनी
कंटकाकीर्ण सकरी पगडंडी
गुमनाम उसे कर गयी
तनहा चल न पाया
साये ने भी साथ छोड़ा
उलझनो में फसता गया
जब मुड़ कर पीछे देखा
बापिसी की राह न मिली
बीज से विकसित
पौधे नफ़रत के
पौधे नफ़रत के
दूर सब से ले आए
फासले इतने बढ़े कि
अपने भी गैर हो गए
हमराही कोई न मिला
अकेलापन खलने लगा
अहसास गलत राह चुनने का
अब मन पर हावी हुआ
सारी राहें अवरुद्ध पा
टीस इतनी बढ़ी कि
खुद से ही नफ़रत होने लगी |
bahut hi prabhawshali rachna...berojgari wakai mein ajeeb sa padaw hai jindgi ka..kavita ke roop mein bahut hi prasanshneey tarike se dhala hai ADBHUT...
जवाब देंहटाएंएक आतंकवादी की मनोव्यथा झलकाती रचना -अंततः स्वयं के प्रति भी नफरत उसके हिस्से में आती है
जवाब देंहटाएंprabhwshali......
जवाब देंहटाएंman ko chhoo jane vali abhivyakti..
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जवाब देंहटाएंगुमनाम उसे कर गयी/उलझनो(उलझनों )..... में फसता गया/
एक नक्सली /आतंकी /मूल्य च्युत युवा की हताशा झलकती है इन पंक्तियों में .हमारे ब्लॉग जगत में माननीया बिंदी /चन्द्र बिंदु /अनुस्वार /अनुनासिक की बहुत अनदेखी हो रही है .सम्पादन में आप भी सहयोग करें .शुक्रिया बढ़िया रचना पढवाई .
ram ram bhai
। कंटकाकीर्ण सकरी(संकरा )... पगडंडी
मुखपृष्ठ
मंगलवार, 25 सितम्बर 2012
आधे सच का आधा झूठ
कंटकाकीर्ण सकरी(संकरी ) पगडंडी......संकरी / उलझनो(उलझनों ) में फसता गया.....
जवाब देंहटाएंएक नक्सली /आतंकी की हताशा फलीभूत हुई है इस रचना में .हिंदी की बिंदी /चन्द्र बिंदु का अपना सौन्दर्य बोध है पटा नहीं क्यों अनुस्वार /अनुनासिक से लोग छिटक रहें हैं .
हम नव -मीडिया के पुरोधा हैं वर्तनी तो हमें सुधारनी ही होगी सम्पादक भी हैं न .सबका सहयोग अपेक्षित है .
बहुत बढ़िया रचना है आशा सक्सेना जी की .बधाई .
वाह जी सुंदर
जवाब देंहटाएंउम्दा रचना
जवाब देंहटाएंbadhiya rachana abhivyakti ..
जवाब देंहटाएंprabhavshali abhivyakti.........
जवाब देंहटाएंprabhavshali abhivyakti.........
जवाब देंहटाएंजिंदगी में गलत निर्णय लेने पर मानव के पश्चाताप से ग्रसित मनोदशा का बेहतरीन चित्रण किया है आशा जी
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना |
जवाब देंहटाएंमेरी नई पोस्ट:-
♥♥*चाहो मुझे इतना*♥♥
वाकई ! अपराधबोध से ग्रस्त व्यक्ति कभी-कभी ऐसी ही मन:स्थिति से गुजरता है और हताशा के गर्त में गिरता चला जाता है ! सशक्त अभिव्यक्ति ! बहुत सुन्दर !
जवाब देंहटाएंकुछ पल जिंदगी के ..यूँ ही अकेले से
जवाब देंहटाएंऐसी ही मनोदशा में लोग अपराधी प्रवृति की ओर अग्रसर हो जाते हैं ... यथार्थ को कहती रचना
जवाब देंहटाएंयथार्थ कहती
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचना...