शब्द वांण विष से
बुझे ,करते गहरे घाव |
वो ही करता सामना ,जिसका
होवे ठांव ||
हुआ मनाना रूठना ,बीते
कल की बात |
धन न हुआ तो क्या
हुआ ,है अनुभव का साथ ||
निमिष भर अकेला रहा
,लागी मन को ठेस |
जब समय के साथ चला
,मिटने लगा कलेश ||
अभिनव प्रयासरत रहा ,ना
है दिल पर बोझ |
कुछ नया बन कर रहेगा ,होगी नई खोज ||
कभी न हिम्मत हारता
,जो चलता अविराम |
भव सागर से तर जाता
,ले कर प्रभु का नाम ||
आशा
बहुत सुन्दर प्रस्तुति..
जवाब देंहटाएंकभी न हिम्मत हारता ,जो चलता अविराम....
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर और प्रेरणादायी रचना....
सादर
राहुल
कभी न हिम्मत हारता ,जो चलता अविराम |
जवाब देंहटाएंभव सागर से तर जाता ,ले कर प्रभु का नाम ||
.....प्रभु नाम की महिमा अनंत हैं ...बहुत बढ़िया
चाहत पर है नियंत्रण, नहीं बहुत की चाह |
जवाब देंहटाएंदो रोटी मिलती रहे, लो नि:शुल्क सलाह ||
वाह बहुत खूब
जवाब देंहटाएंउचित सीख देते प्रेरणादायी और सुन्दर दोहे ! बहुत बढ़िया !
जवाब देंहटाएंबेहतरीन उम्दा भाव सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंbahut behtareen bhaw...
जवाब देंहटाएंसुन्दर शब्द संयोजन निरंतर आगे बढ़ने की प्रेरणा देती हुई |
जवाब देंहटाएंbahot sunder.....
जवाब देंहटाएंवाह!
जवाब देंहटाएंआपकी इस ख़ूबसूरत प्रविष्टि को कल दिनांक 15-10-2012 को सोमवारीय चर्चामंच-1033 पर लिंक किया जा रहा है। सादर सूचनार्थ
जवाब देंहटाएंशब्द वांण विष से बुझे ,करते गहरे घाव |..........बाण ....
वो ही करता सामना ,जिसका होवे ठांव ||
हुआ मनाना रूठना ,बीते कल की बात |
धन न हुआ तो क्या हुआ ,है अनुभव का साथ ||
बढ़िया दोहावली है .सकारात्मक ऊर्जा और भाव लिए उत्साह के साथ दोहावली आगे बढती है .बधाई .
शब्द वांण विष से बुझे ,करते गहरे घाव | वो ही करता सामना ,जिसका होवे ठांव ||
जवाब देंहटाएंहुआ मनाना रूठना ,बीते कल की बात |
सुन्दर प्रस्तुति
अच्छी रचना पढ़वाने के लिए आभार