देहरादून जेल में जब पंडित जवाहर लाल नेहरू अकेले होते थे जेल परिसर में एक पेड़ के नीचे बैठ कर अक्सर अपनी बेटी को पत्र लिखा करते थे |एक दिन एक गिलहरी बहुत पास आ गयी और जैसे ही उसे छूना चाहा बहुत तेजी से पेड़ पर चढ गयी |जब दाना खिलाया वह उनसे हिल गयी अब रोज उसी समय वह आती और दाना खाती उसे रोज देखना बहुत अच्छा लगता था |आज एकाएक मुझे वह कहानी याद आई अब आप सब के साथ जिसे बांटना चाहती हूँ ||
याद आई एक कहानी
देखी चानी पेड़ पर
चढती उतरती दाना खाती
अपनी लंबी पूँछ हिलाती
हाथ में दाना लिए
उसे अपने पास बुलाया
पहले हिचकिचाती
पर हर रोज वहीं आती
घंटों बैठ उसे निहारना
प्यार से उसे सहलाना
हाथ से दाना खिलाना
प्यार से उसे सहलाना
हाथ से दाना खिलाना
अपने आप में एक खेल बन गया
साथ उसका भला लगा
उसकी फुर्ती उसकी चुस्ती
मन में ऊर्जा भर जाती
कर्मठता प्रेरित करती
कुछ न कुछ करने को
निगाहें खोजती उसी को
जिसने दिया सन्देश
चुस्ती ,फुर्ती ,निर्भयता का
चुस्ती ,फुर्ती ,निर्भयता का
बन गयी आदर्श मेरा |
आशा
सुन्दर रचना...
जवाब देंहटाएं--दीवाली का पर्व है, सबको बाँटों प्यार।
आतिशबाजी का नहीं, ये पावन त्यौहार।।
लक्ष्मी और गणेश के, साथ शारदा होय।
उनका दुनिया में कभी, बाल न बाँका होय।
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(¯*•๑۩۞۩:♥♥ :|| दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें || ♥♥ :۩۞۩๑•*¯)
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दीपों की यह है कथा,जीवन में उजियार
जवाब देंहटाएंसंघर्षो के पथ रहो, कभी न मानो हार,
दीपावली की ढेर सारी शुभकामनाओं के साथ,,,,
RECENT POST: दीपों का यह पर्व,,,
बहुत सुन्दर रचना...
जवाब देंहटाएंआपको सहपरिवार दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ...
:-)
शुभकामनायें-
जवाब देंहटाएंउत्कृष्ट प्रस्तुति ||
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जवाब देंहटाएंधन वैभव दें लक्ष्मी , सरस्वती दें ज्ञान ।
गणपति जी संकट हरें,मिले नेह सम्मान ।।
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दीपावली पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं
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अरुण कुमार निगम एवं निगम परिवार
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बहुत प्यारी कहानी ! ईश्वर की बनायी इस धरती के सभी प्राणी कहीं न कहीं कभी न कभी हमारे लिये प्रेरणा के स्त्रोत बन ही जाते हैं ! अच्छी लगी यह काव्य कथा ! बधाई !
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