अहसास इनका
समस्त चेतन जगत में
आवागमन प्रक्रिया सचराचर में
अनुभव सभी करते
लाभ भी लेते
गति इनकी होती अविराम
फिर भी एक सी नहीं होती
परिवर्तित होती रहती
कभी तीव्र तो कभी मंद
कभी अवरुद्ध भी होती
तभी तो कभी गर्म
तो कभी सर्द आहों का
जलवा नजर आता
इन पर नियंत्रण के लिए
अनेकों यत्न किये जाते
कितनी ही औषधियां लेते
ध्यान योग को अपनाते
पर ऐसा न हो पाता
गति ह्रदय की होती संचालित
इनके ही प्रताप से
इनका है क्या नाता मनुज से
किसी ने न जाना
श्वासों का आना जाना
किसी ने न पहचाना
प्राणों के संग हुई
जब भी बिदाई इनकी
किसी ने इस का अनुभव
यदि किया भी हो
उसे सब से बाँट नहीं पाया
क्यूं कि वह बापिस
लौट कर ही नहीं आया |
आशा
बढ़िया प्रस्तुती |
जवाब देंहटाएंबधाई दीदी ||
किसी ने इस का अनुभव
जवाब देंहटाएंयदि किया भी हो
उसे सब से बाँट नहीं पाया
क्यूं कि वह बापिस
लौट कर ही नहीं आया |
आपने सही कहा,,,इस अनुभव को कोई नही बाँट सका,,
अद्भुत अभिव्यक्ति,,,,
RECENT POST : समय की पुकार है,
आहें पड़ी बाजार में, तरह तरह की श्वाँस ।
जवाब देंहटाएंअक्सर यह सामान्य हैं, कभी कभी अति ख़ास ।
कभी कभी अति ख़ास, भरें उच्छवासें आशिक ।
होती अति गतिमान, अगर दौरा आपातिक ।
वेग पलायन पाय, पकड़ नहिं पाए बाहें ।
श्वाँस उखड ही जाय, कराहें बचती आहें ।।
उत्कृष्ट प्रस्तुति का लिंक लिंक-लिक्खाड़ पर है ।।
जवाब देंहटाएंगम्भीर एवं सार्थक रचना ! हर अहसास को बड़ी खूबसूरती के साथ उकेरा है ! बहुत-बहुत बधाई !
जवाब देंहटाएंकिसी ने न जाना
जवाब देंहटाएंश्वासों का आना जाना ..sahi bat....
बहुत सुदर और गहन रचना....
जवाब देंहटाएंसादर
अनु
श्वास प्रश्वास पर इतनी सुंदर पर गंभीर रचना के लिेये आपको बधाई ।
जवाब देंहटाएंउसे सब से बाँट नहीं पाया
जवाब देंहटाएंक्यूं कि वह बापिस
लौट कर ही नहीं आया |
जाने वाले कभी लौट के नहीं आते ...