तेरी चरण रज पाने के
हो तल्लीन तेरी सेवा में
तुझी में रम जाने के
प्रातः सुनती मधुर धुन
या भक्ति भाव से भरे भजन
बस एक ही विनती करती
इस भव सागर के बंधन से
करो मेरा उद्धार प्रभू
करो मेरा उद्धार प्रभू
बाधाएं मेरी कम न होतीं
चहु ओर से घेरे रहतीं
उनकी संख्या अनंत
जाने कितने सहे
गर्म हवाओं के थपेड़े
इस काँटों से भरे मार्ग पर
आत्मा लहुलुहान हुई
जीर्ण क्षीण काया हुई
फिर भी आशा कम न हुई
तेरे द्वार आने की
है बड़ा अरमान
तुझ में खो जाने का
भवसागर कर पार
तेरे दर पर आने का |
है बड़ा अरमान
जवाब देंहटाएंतुझ में खो जाने का
भवसागर कर पार
तेरे दर पर आने का
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सजदे में झुकते ह्रदय भाव
ईस्वर की अनुकम्पा अपने उन्ही भक्तो पे होती है जिनमे धैर्य आत्मविश्वास और सकारात्मकता हो ,बहुत अच्छी अभिव्यक्ति ,शुभकामनाये ,बहुत बहुत साधुवाद
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर भक्ति भाव में लींन रचना,,,
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Recent Post दिन हौले-हौले ढलता है,
भक्ति और समर्पण की भाव दर्शाती सुन्दर कविता
जवाब देंहटाएंlatest post पिंजड़े की पंछी
प्रभु प्रेम में पगी सुन्दर भावाभिव्यक्ति ! सुबह-सुबह मन प्रसन्न हो गया ! बहुत सुन्दर !
जवाब देंहटाएंसाधू साधू
जवाब देंहटाएंहर शब्द की अपनी पहचान बना दी आपने बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंमेरी नई रचना
प्रेमविरह
एक स्वतंत्र स्त्री बनने मैं इतनी देर क्यूँ
आपकी यह पोस्ट आज के (२० फ़रवरी २०१३) Bulletinofblog पर प्रस्तुत की जा रही है | बधाई
जवाब देंहटाएंबहुत ही मधुर प्रस्तुति.आभार है आपका.
जवाब देंहटाएंसुन्दर, अति सुन्दर और क्या कह सकते हैं। :)
जवाब देंहटाएंसुन्दर, अति सुन्दर और क्या कह सकते हैं। :)
जवाब देंहटाएंbahut sunder bhaw.....
जवाब देंहटाएंsimply superb.
जवाब देंहटाएंतन दिया है मन दिया है और जीवन दे दिया
प्रभु आपको इस तुच्छ का है लाखों लाखों शुक्रिया
चाहें दौलत हो ना हो कि पास अपने प्यार हो
प्रेम के रिश्ते हों सबसे ,प्यार का संसार हो
बढ़िया विनती सामूहिक प्राथना है यह रचना .शुक्रिया आपकी टिपण्णी का .
जवाब देंहटाएंहर शब्द शब्द की अपनी अपनी पहचान बहुत खूब
जवाब देंहटाएंमेरी नई रचना
खुशबू
प्रेमविरह
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जवाब देंहटाएंआप की ये खूबसूरत रचना शुकरवार यानी 22 फरवरी की नई पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही है...
जवाब देंहटाएंआप भी इस हलचल में आकर इस की शोभा पढ़ाएं।
भूलना मत
htp://www.nayi-purani-halchal.blogspot.com
इस संदर्भ में आप के सुझावों का स्वागत है।
सूचनार्थ।
bahut sundar rachna
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया।
जवाब देंहटाएंमेरो मन अनत कहाँ सुख पावे!
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