रिश्ता अनोखा प्रीत का
चहु और नजर आता
पूरी कायनात में
विरला ही इससे बच पाता |
होती उपस्थिति इसकी
सृष्टि के कण कण में
जो पा न सके इसको
लगता बड़ा अकिंचन सा |
इसको नहीं जिसने जाना
जीवन उसका व्यर्थ गया
जन्म से मृत्यु तक
बड़ा अभाव ग्रस्त रहा |
खग मृग हों या पशु पक्षी
पृथ्वी पर हिलमिल रहते
आकाश से नाता जोड़ते
जल से कभी न मुख मोड़ते |
प्रीत की डोर में बंधे
अपना संबल खोजते
तभी संतुलन रह पाता
सृष्टि के जर्रे जर्रे में |
सभी बंधे इस रिश्ते में
चंद लोग क्यूं महरूम इससे
आपसी बैर पाल रहे
सृष्टि का संतुलन बिगाड़ रहे ?
प्रेम को समझाती हुयी सुन्दर रचना !!
जवाब देंहटाएंप्रेम को समर्पित सुन्दर प्रस्तुति आदरेया
जवाब देंहटाएंसटीक है आदरेया |
जवाब देंहटाएंआभार ||
नया आयाम देती आपकी ये बहुत उम्दा रचना ..भाव पूर्ण रचना .. बहुत खूब अच्छी रचना इस के लिए आपको बहुत - बहुत बधाई
जवाब देंहटाएंमेरी नई रचना
मेरे अपने
खुशबू
प्रेमविरह
बहुत सार्थक अभिव्यक्ति .....!!
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें ....!!
अत्यंत रसीली और भावपूर्ण अभिव्यक्ति | बधाई |
जवाब देंहटाएंTamasha-E-Zindagi
Tamashaezindagi FB Page
सटीक,एक बेहतरीन रचना,,,,बधाई,,
जवाब देंहटाएंRecent Post: कुछ तरस खाइये
आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल मंगलवार26/2/13 को चर्चाकारा राजेश कुमारी द्वारा चर्चा मंच पर की जायेगी आपका हार्दिक स्वागत है
जवाब देंहटाएंbahut acchi rachna .....
जवाब देंहटाएंहोती उपस्थिति इसकी
जवाब देंहटाएंसृष्टि के कण कण में
जो पा न सके इसको
लगता बड़ा अकिंचन सा |
बहुत खूब
बहुत खूब
जवाब देंहटाएंप्रीत की डोर में बंधे
जवाब देंहटाएंअपना संबल खोजते
तभी संतुलन रह पाता
सृष्टि के जर्रे जर्रे में |
सभी बंधे इस रिश्ते में
चंद लोग क्यूं महरूम इससे
आपसी बैर पाल रहे
सृष्टि का संतुलन बिगाड़ रहे ?
बहुत सही सवाल पूछती प्यारी रचना ।
प्रीत की डोर में बंधे
जवाब देंहटाएंअपना संबल खोजते
तभी संतुलन रह पाता
सृष्टि के जर्रे जर्रे में |
सभी बंधे इस रिश्ते में
चंद लोग क्यूं महरूम इससे
आपसी बैर पाल रहे
सृष्टि का संतुलन बिगाड़ रहे ?
बहुत सही सवाल पूछती प्यारी रचना ।
जिन्होंने प्रेम की महिमा जानी ही नहीं वे ही भटके हुए लोग हैं जो सृष्टि के संतुलन को बिगाड़ने का प्रयास करते हैं ! बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति !
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