25 फ़रवरी, 2013

प्रीत की डोर

रिश्ता अनोखा प्रीत का 
चहु और नजर आता 
पूरी कायनात में 
विरला ही इससे बच पाता |
होती उपस्थिति इसकी 
सृष्टि के कण कण में 
जो पा न सके इसको 
लगता बड़ा अकिंचन  सा |
इसको नहीं  जिसने जाना
 जीवन उसका व्यर्थ गया 
जन्म से मृत्यु तक
बड़ा अभाव ग्रस्त रहा |
खग मृग हों या पशु पक्षी
पृथ्वी पर हिलमिल रहते 
आकाश से नाता जोड़ते 
जल से कभी न मुख मोड़ते |
प्रीत की डोर में बंधे
अपना संबल खोजते 
तभी संतुलन रह पाता
सृष्टि के जर्रे जर्रे में  |
सभी बंधे इस रिश्ते में 
 चंद लोग  क्यूं महरूम इससे
आपसी बैर पाल रहे
सृष्टि का संतुलन बिगाड़ रहे ?


14 टिप्‍पणियां:

  1. प्रेम को समझाती हुयी सुन्दर रचना !!

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  2. प्रेम को समर्पित सुन्दर प्रस्तुति आदरेया

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  3. नया आयाम देती आपकी ये बहुत उम्दा रचना ..भाव पूर्ण रचना .. बहुत खूब अच्छी रचना इस के लिए आपको बहुत - बहुत बधाई

    मेरी नई रचना

    मेरे अपने

    खुशबू
    प्रेमविरह

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  4. बहुत सार्थक अभिव्यक्ति .....!!
    शुभकामनायें ....!!

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  5. अत्यंत रसीली और भावपूर्ण अभिव्यक्ति | बधाई |

    Tamasha-E-Zindagi
    Tamashaezindagi FB Page

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  6. आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल मंगलवार26/2/13 को चर्चाकारा राजेश कुमारी द्वारा चर्चा मंच पर की जायेगी आपका हार्दिक स्वागत है

    जवाब देंहटाएं
  7. होती उपस्थिति इसकी
    सृष्टि के कण कण में
    जो पा न सके इसको
    लगता बड़ा अकिंचन सा |

    बहुत खूब

    जवाब देंहटाएं
  8. प्रीत की डोर में बंधे
    अपना संबल खोजते
    तभी संतुलन रह पाता
    सृष्टि के जर्रे जर्रे में |
    सभी बंधे इस रिश्ते में
    चंद लोग क्यूं महरूम इससे
    आपसी बैर पाल रहे
    सृष्टि का संतुलन बिगाड़ रहे ?

    बहुत सही सवाल पूछती प्यारी रचना ।

    जवाब देंहटाएं
  9. प्रीत की डोर में बंधे
    अपना संबल खोजते
    तभी संतुलन रह पाता
    सृष्टि के जर्रे जर्रे में |
    सभी बंधे इस रिश्ते में
    चंद लोग क्यूं महरूम इससे
    आपसी बैर पाल रहे
    सृष्टि का संतुलन बिगाड़ रहे ?

    बहुत सही सवाल पूछती प्यारी रचना ।

    जवाब देंहटाएं
  10. जिन्होंने प्रेम की महिमा जानी ही नहीं वे ही भटके हुए लोग हैं जो सृष्टि के संतुलन को बिगाड़ने का प्रयास करते हैं ! बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति !

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