16 अप्रैल, 2013

हो क्यूं उदास

जिसे जाना था चला गया 
हो क्यूं उदास इतने 
छोड़ो सारी बातों को 
जिनसे दुःख उपजे |
वहां जाना अवश्य 
दुआ भी करना 
पर आंसूं न बहाना 
कष्ट उसे ना पहुंचाना |
सूक्ष्म रूप धारण किये
 वह भी तुम्हे निहारता होगा 
याद भी करता होगा 
पर तुम्हें बता नहीं सकता |
जो यादें वह
 पीछे छोड़ गया 
उन्हें जीवित रख
सहज सफर उसका करना
वह लौट तो न पायेगा 
स्मृतियों में उसे
 जीवित रखना |
उसकी हर बात 
जो हंसाती थी
 गुदगुदाती थी 
बहुत सहेज कर रखना |
तब ही वे लम्हे जी पाओगे 
यादें जब ताजा होंगी 
तब अकेले नहीं होगे 
उसके बहुत करीब होगे 
उदासी भूल जाओगे |





13 टिप्‍पणियां:

  1. हर एक को जाना है .... उदास हो कर जाने वाले का सफर कष्टमय नहीं करना चाहिए .... सुंदर प्रस्तुति

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  2. कोशिश तो यही रहती हैं मगर दिल कहाँ मानता है...उदासी मन को घेर ही लेती है
    :-(

    सादर
    अनु

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  3. बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
    आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि-
    आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल बुधवार (17-04-2013) के "साहित्य दर्पण " (चर्चा मंच-1210) पर भी होगी! आपके अनमोल विचार दीजिये , मंच पर आपकी प्रतीक्षा है .
    सूचनार्थ...सादर!

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  4. मन यही कामना करता है ,उदास हो तो भी दिखाना नहीं चाहता!

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  5. सच कहा है यादों के बीच कौन अकेला होता है ...
    जाना भी हर किसी को होता है .. ये तो रीत है ..

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  6. बेहतरीन रचना | आभर

    कभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
    Tamasha-E-Zindagi
    Tamashaezindagi FB Page

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  7. स्मृतियों में उसे
    जीवित रखना......भावनात्‍मक स्‍पंदन।

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  8. मन को आश्वस्त करती और सांत्वना सी देती एक बहुत ही सशक्त रचना ! सार्थक प्रस्तुति !

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