11 मई, 2013

विराम सृजन का



शनेशने बढ़ते जीवन में 
कई बिम्ब उभरे बिखरे 
बीती घटनाएं ,नवीन भाव 
लुका छिपी खेलते मन में 
बहुत छूटा कुछ ही रहा 
जिज्ञासा को विराम न मिला 
अनवरत पढ़ना लिखना 
चल रहा था चलता रहा 
कुछ से प्रशंसा मिली 
कई निशब्द ही रहे 
अनजाने में मन उचटा 
व्यवधान भी आता रहा
मानसिक थकान भी 
जब तब  सताती
जाने कितना कुछ है 
विचारों के समुन्दर में 
कैसे उसे समेटूं 
पन्नों पर सजाऊँ 
बड़ा विचित्र यह
 विधान विधि का
असीमित घटना क्रम 
नित्य नए प्रयोग 
यहाँ वहां बिखरे बिखरे 
सहेजना उनको 
लगता असंभव सा तभी
दिया विराम लेखन को 
जो पहले लिखा
 उसी पर ही
मनन प्रारम्भ किया 
यादें सजीव  हो उठीं 
उन में फिर से खोने लगा  
अशक्त तन मन को
 उसी में रमता देख 
वहीं हिचकोले लेने लगा 
शायद है यही पूर्णविराम 
सृजन की दुनिया का |
आशा



10 टिप्‍पणियां:

  1. असीमित घटना क्रम
    नित्य नए प्रयोग
    यहाँ वहां बिखरे बिखरे
    सहेजना उनको
    लगता असंभव सा तभी
    बहुत ही बेहतरीन रचना ..यह रचना तो वाकई एक सच्चा सन्देश देती है

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  2. धन्यवाद टिप्पणी हेतु आपको |इसी प्रकार होंसला बढाते रहें |
    आशा

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  3. जो पहले लिखा
    उसी पर ही
    मनन प्रारम्भ किया
    यादें सजीव हो उठीं
    उन में फिर से खोने लगा
    अशक्त तन मन को
    उसी में रमता देख
    वहीं हिचकोले लेने लगा
    शायद है यही पूर्णविराम
    सृजन की दुनिया का|................ बहुत ही व्‍यावहारिक बात सृजनशीलता के बारे में।

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  4. आपकी प्रतिक्रिया देखी अच्छा लगा |टिप्पणी हेतु आभार विकेश जी |
    आशा

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  5. आशाजी अक्सर जहाँ अंत नज़र आता है ...वहीँ से एक नई शुरुआत होती है .....आपका लेखन यूहीं सदा चलता रहे ..यही शुभकामनाएं हैं

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  6. जो पहले लिखा
    उसी पर ही
    मनन प्रारम्भ किया
    यादें सजीव हो उठीं
    उन में फिर से खोने लगा
    अशक्त तन मन को
    उसी में रमता देख
    वहीं हिचकोले लेने लगा
    शायद है यही पूर्णविराम
    सृजन की दुनिया का |

    ....बहुत सार्थक चिंतन और सुझाव सृजनशीलता का..बहुत प्रभावी प्रस्तुति..

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  7. सृजन की दुनिया अविराम चलती रहे यही शुभेच्छा है

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  8. सृजन की दुनिया चलती रहे अविरल.सार्थक चिंतन.
    .आभार..

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  9. हर कार्य में कुछ ना कुछ कमी रहती है ,उसपर चिंतन करना, ,मनन करना पूर्णता की और ले जाता है .बढ़िया प्रस्तुति

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  10. यह अस्थायी व्यवधान हैं ! शारीरिक और मानसिक थकान कभी-कभी विरक्ति की ओर ले जाना चाहती हैं लेकिन मन की सक्रियता और सृजनशीलता को विराम देना असंभव भी है और अनुचित भी ! इसलिए चिंता मत करिये और अपनी रचनात्मकता को विराम देने के बारे में तो सोचिये ही मत !

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