28 जून, 2013

सब यहीं छूट जाएगा


छोटी सी है जिन्दगी 
जी भर कर जी ले 
जो कुछ सही गलत किया 
आकलन उसका कर ले
है जीवन एक बुलबुला
किसी क्षण क्षय हो जाएगा 
यही सही समय है 
सारा हिसाब किताब करले 
जितने वायदे किये 
यदि पूरे न कर पाए 
अतिरिक्त बोझ मन पर होगा 
यदि बोझ रह गया 
यहाँ वहां मन भटकेगा 
होगा कठिन सहन करना 
 उससे मुक्त न हो पाएगा
ईश्वर से जब भेट होगी 
जबाब उसे भी देना होगा 
बंधन काट न पाया तो 
क्या मुंह उसे दिखाएगा 
इसी लिए बच मद मत्सर से
सारे बंधन छोड़ यहीं पर 
खुद को मुक्त कर ले 
जीवन तो क्षण भंगुर है
सब यहीं छूट जाएगा |
आशा

24 टिप्‍पणियां:

  1. सारा हिसाब किताब करले
    जितने वायदे किये
    यदि पूरे न कर पाए
    अतिरिक्त बोझ मन पर होगा
    यदि बोझ रह गया
    यहाँ वहां मन भटकेगा
    होगा कठिन सहन करना
    उससे मुक्त न हो पाएगा

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  2. जीवन तो क्षण भंगुर है
    सब यहीं छूट जाएगा |

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  3. सारे बंधन छोड़ यहीं पर
    खुद को मुक्त कर ले
    जीवन तो क्षण भंगुर है
    सब यहीं छूट जाएगा |
    --बहुत अच्छी लगी
    --latest post जिज्ञासा ! जिज्ञासा !! जिज्ञासा !!!

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  4. शाश्वत सत्य की बहुत सुन्दर और सशक्त अभिव्यक्ति...

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  5. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  6. बहुत सुन्दर. स्वर्ग नरक के चक्कर में कहीं ज़िन्दगी ही ना छूट जाए.

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  7. ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन काँच की बरनी और दो कप चाय - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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    1. मेरी पोस्ट शामिल करने के लिए आभार |
      आशा

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  8. ......सब यही छुट जायेगा.. जीवन को सन्देश देती सुंदर रचना.

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  9. भौतिक जीवन की नश्वरता को बड़ी कुशलता से बयान किया है ! हर पल बड़ा कीमती है ! उसका सार्थकता से समझ बूझ कर प्रयोग होना ही चाहिये ! बहुत सुंदर रचना !

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  10. परम सत्य यही है सब यहीं छूट जाएगा, खाली हाथ आए थे खाली हाथ ही जाना है... सार्थक अभिव्यक्ति...आभार

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  11. जीवन के शाश्वत सत्य को उजागर करती बहुत गहन एवँ सुंदर प्रस्तुति ! बहुत बढ़िया !

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    1. देर से आने के लिए क्या जुर्माना भरोगी |
      आशा

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