आज न जाने क्यूं ?
बागेवफ़ा वीरान नज़र आता
बेवफ़ा कई दीखते
पर बावफ़ा का पता न होता
चन्द लोग ही ऐसे हैं
जो दौनों में फर्क समझते
जज्बातों की कद्र करते
गलत सही पहचानते
आगे तभी कदम बढ़ाते
हमराज बन साथ होते
कुछ ही वादे करते
बड़ी शिद्दत से जिन्हें निभाते
जो बेवफ़ा होते
प्यार को बदनाम करते
झूटमूट के वादे करते
एक भी पूरा न करते
तभी तो विश्वास
प्यार से उठता जाता
हर कदम पर
धोखा ही नज़र आता |
आशा
बढ़िया है आदरणीया-
जवाब देंहटाएंआभार-
आप लोगों की टिप्पणी लिखने को प्रेरित करती हैं |
हटाएंतभी तो विश्वास
जवाब देंहटाएंप्यार से उठता जाता
हर कदम पर
धोखा ही नजर आता बहुत अच्छी पोस्ट ..... आभार
टिप्पणी हेतु धन्यवाद रंजना जी
हटाएंआपकी रचना कल बुधवार [24-07-2013] को
जवाब देंहटाएंब्लॉग प्रसारण पर
कृपया पधार कर अनुग्रहित करें |
सादर
सरिता भाटिया
सूचना हेतु धन्यवाद सरिता जी |
हटाएंआशा
जवाब देंहटाएंबढ़िया प्रस्तुति !
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latest post क्या अर्पण करूँ !
टिप्पणी हेतु धन्यवाद
हटाएंबहुत ही बढ़िया आंटी!
जवाब देंहटाएंसादर
धन्यवाद यशवंत जी
हटाएंबढ़िया प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी पोस्ट ..... आभार
जवाब देंहटाएंधन्यवाद टिप्पणी हेतु |
हटाएंबढ़िया प्रस्तुति !
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत रचना.
जवाब देंहटाएंरामराम.
धन्यवाद ताऊ जी
हटाएंधन्यवाद संजय
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति ....!!
जवाब देंहटाएंआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल बुधवार (24-07-2013) को में” “चर्चा मंच-अंकः1316” (गौशाला में लीद) पर भी होगी!
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सूचना हेतु धन्यवाद |
हटाएंआशा
सुन्दर रचना !
जवाब देंहटाएंटिप्पणी हेतु आभार प्रतिभा जी|
हटाएंआशा
यथार्थ के धरातल पर वास्तविकता का बाना ओढ़े एक बहुत ही सशक्त एवँ सार्थक रचना ! बहुत सुंदर !
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद टिप्पणी हेतु |
हटाएंआशा
जीवन के कदुए सच को सहज ही लिखा है ...
जवाब देंहटाएंभावमय रचना ...
धन्यवाद नासवा जी
हटाएंयही सच है..आजकल का
जवाब देंहटाएंमुझे भी ऐसा ही लगता है |
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