रिश्ते कैसे कैसे
कितने बने कितने बिगड़े
कभी विचार करना
कब कहाँ किससे मिले
उन्हें याद करना
तभी जान पाओगे
है कौन अपना
कौन पराया
कौन पराया
यूं तो बड़ा सरल लगता है
रिश्तों का बखान करना
सतही हों या अन्तरंग
सम्बन्ध हों
खून के
या बनाए गए
या बनाए गए
पर होता सच्चा रिश्ता क्या
इस पर गौर करना
आज तक कितने
तुम्हें अपने लगे
तुम्हें अपने लगे
जिन से बिछुड़ कर दुःख हुआ
कितना उनको याद किया
जो कभी नहीं लौटे
क्या कभी किसी का
अहसान याद कर पाए
किसीने यदि कुछ बुरा किया
उसे भुला नहीं पाए
उसे भुला नहीं पाए
कटुता विष बेल सी बढ़ी
फल भी कड़वे ही लगे
मतलब से ही बने रिश्ते
बाकी से किनारा कर गए
फिर प्रश्न क्या
है कौनसा रिश्ता पास का
और कौनसा दूर का
हैं जाने कितने लोग
दूरदराज़ के
दूरदराज़ के
मतलब से चले आते हैं
सड़क पर मिलते ही
कन्नी काट जाते हैं
तब खुद की सोच बदल देती
परिभाषा रिश्ते की
जो कभी बड़ा निकट होता था
अब सतही लगने लगता |
आशा
achhi kavita
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति.. आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी पोस्ट हिंदी ब्लॉग समूह में सामिल की गयी और आप की इस प्रविष्टि की चर्चा कल - शुक्रवार 30/08/2013 को
जवाब देंहटाएंहिंदी ब्लॉग समूह चर्चा-अंकः9 पर लिंक की गयी है , ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें . कृपया आप भी पधारें, सादर .... Darshan jangra
सुन्दर प्रस्तुति-
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें-
बेहतरीन अंदाज़..... सुन्दर
जवाब देंहटाएंअभिव्यक्ति......
दूरदराज़ के
जवाब देंहटाएंमतलब से चले आते हैं
सड़क पर मिलते ही
कन्नी काट जाते हैं
तब खुद की सोच बदल देती
परिभाषा रिश्ते की
जो कभी बड़ा निकट होता था
अब सतही लगने लगता |---
शायद यही है जिंदगी कडुया सच
latest postएक बार फिर आ जाओ कृष्ण।
कोमल भाव स्थित भावपूर्ण रचना...
जवाब देंहटाएंरिश्तों का राज़ कहाँ समझ में आता है !
जवाब देंहटाएंरिश्तों को क्या खूब परिभाषित किया आपने । कोमल निश्चल सी मासूम रचना मगर प्रभाव छोडती हुई । बहुत अच्छे
जवाब देंहटाएंइस जीवन में रिश्तों से बढ़ कर कुछ भी नहीं मानो तो अपने नहीं तो सब मोहमाया है
जवाब देंहटाएंसड़क पर मिलते ही
जवाब देंहटाएंकन्नी काट जाते हैं
तब खुद की सोच बदल देती
परिभाषा रिश्ते की
जो कभी बड़ा निकट होता था
अब सतही लगने लगता .....सुंदर...भावपूर्ण रचना...
जीवन की सच्चाई को सशक्त अभिव्यक्ति दी है आपने रचना में ! इसमें कोई संदेह नहीं जीवन में लोग निकट सम्बन्धियों के अलावा किसी से तभी तक रिश्ता रखना चाहते हैं जब तक उनसे कोई हित सध रहा होता है ! काम खत्म तो रिश्ता भी खत्म ! यथार्थ के निकट एक सशक्त रचना !
जवाब देंहटाएंलाजवाब, भावभीनी प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर ,भावभीनी रचना..
जवाब देंहटाएंसादर
अनु