15 अगस्त, 2013

वारिद









 वारिद जल से भरा ,डोल रहा चहु ओर |
होगी जाने कब वर्षा ,अब कोइ ना ठौर  ||

बरस बरस वारिद  थका ,चाहता अब विश्राम |
यूं तो दामिनी दमकी ,पर आई ना काम  ||

हरी भरी धरती हुई ,खुशियों का है दौर |
किससे क्या आशा करें ,क्यूं कर रुके अब और  ||

जाने का होता मन ना ,आँसू भर भर रोय |
नदी तड़ाग उफन रहे ,सीमा अपनी खोय ||

जाने का मन बना लिया ,आने का वादा ले |
लगता असंभव रुकना ,यूं रिसती आँखों से ||

16 टिप्‍पणियां:

  1. सुन्दर रचना
    स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनायें !

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आपको भी स्वतंत्रता दिवस पर बधाई कविता जी |

      हटाएं
  2. बहुत सुन्दर रचना आशा जी ..स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनायें !

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत सुंदर रचना,,,

    स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाए,,,आशा जी.

    RECENT POST: आज़ादी की वर्षगांठ.

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत सुंदर रचना,
    स्वतंत्र दिवस की शुभकामनाएं
    latest os मैं हूँ भारतवासी।
    latest post नेता उवाच !!!

    जवाब देंहटाएं
  5. बढ़िया दोहे ! सुंदर चित्रण ! स्वतन्त्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनायें !

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. त्रुटि सुधार हेतु बहुत बहुत धन्यवाद |
      आशा

      हटाएं
  6. स्वतंत्रता दिवस पर हार्दिक शुभकामनाएं |त्रुटि सुधार हेतु बहुत बहुत धन्यवाद
    वारिद हो या वारिध ,
    हैं दोनो जल के संग्राहक
    एक जल ले कर चलता है
    दूजा उसे अपने में भरता है |
    आशा

    जवाब देंहटाएं

Your reply here: