होगी जाने कब वर्षा ,अब कोइ ना ठौर ||
बरस बरस वारिद थका ,चाहता अब विश्राम |
यूं तो दामिनी दमकी ,पर आई ना काम ||
हरी भरी धरती हुई ,खुशियों का है दौर |
किससे क्या आशा करें ,क्यूं कर रुके अब और
||
जाने का होता मन ना ,आँसू भर भर रोय |
नदी तड़ाग उफन रहे ,सीमा अपनी खोय ||
जाने का मन बना लिया ,आने का वादा ले |
लगता असंभव रुकना ,यूं रिसती आँखों से ||
सुन्दर वर्णन!
जवाब देंहटाएंटिप्पणी हेतु धन्यवाद अनुपमा जी |
हटाएंसुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंस्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनायें !
आपको भी स्वतंत्रता दिवस पर बधाई कविता जी |
हटाएंबहुत सुन्दर रचना आशा जी ..स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनायें !
जवाब देंहटाएंआपको भी स्वतंत्रता दिवस पर बधाई |
हटाएंआशा
बहुत सुंदर रचना,,,
जवाब देंहटाएंस्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाए,,,आशा जी.
RECENT POST: आज़ादी की वर्षगांठ.
आजादी की वर्षगाँठ मंगलमय हो |
हटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंरामराम.
बहुत सुंदर रचना,
जवाब देंहटाएंस्वतंत्र दिवस की शुभकामनाएं
latest os मैं हूँ भारतवासी।
latest post नेता उवाच !!!
धन्यवाद
जवाब देंहटाएंबढ़िया दोहे ! सुंदर चित्रण ! स्वतन्त्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनायें !
जवाब देंहटाएंत्रुटि सुधार हेतु बहुत बहुत धन्यवाद |
हटाएंआशा
वाह बहुत बढिया
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
हटाएंस्वतंत्रता दिवस पर हार्दिक शुभकामनाएं |त्रुटि सुधार हेतु बहुत बहुत धन्यवाद
जवाब देंहटाएंवारिद हो या वारिध ,
हैं दोनो जल के संग्राहक
एक जल ले कर चलता है
दूजा उसे अपने में भरता है |
आशा