ताश के पत्तों सा 
महल सपनों का ढहा 
दिल छलनी हुआ 
जब बुलडोजर चला |
एक ही चिंता हुई 
जाने कहाँ जाएंगे 
कैसे समय निकालेंगे 
इस बेमौसम बरसात में |
कोई  मदद न काम आनी है 
सारे आश्वासन बेमानी हैं 
खुद को ही खोजना होगा 
 आशियाना सिर  छिपाने को  |
बस एक ही 
दया प्रभु ने पाली
दया प्रभु ने पाली
झोली रही न खाली 
कर्मठ हूँ 
साहस रखता हूँ|
साहस रखता हूँ|
हल समस्या का 
खोज सकता हूँ
खोज सकता हूँ
इसी लिए दुःख नहीं पालता 
अपनी लड़ाई खुद लड़ता हूँ |
आशा 

 
 
बहुत बेहतरीन...प्रेरक रचना...
जवाब देंहटाएंhttp://mauryareena.blogspot.in/
बहुत बढ़िया ! जीवन में हर संघर्ष का सामना करने के लिये इसी आत्मविश्वास एवँ हौसले की आवश्यकता होती है ! सुंदर रचना !
जवाब देंहटाएंआ० प्रेरित करती शानदार कृति , धन्यवाद
जवाब देंहटाएं॥ जय श्री हरि: ॥
..प्रेरक रचना...बहुत बढ़िया !
जवाब देंहटाएंतेज लिए .. अपनी लढाई खुद लड़ने से ताकत मिलती है ... प्रेरित करती रचना ...
जवाब देंहटाएंबेहतरीन.......... प्रेरणादायक !
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