नया नया मतदाता बना
था उत्साह
था उत्साह
प्रथम बार
मतदान का|
मतदान का|
इतने दिन बीत गए
सुनते सुनते|
प्रजातंत्र में जीते हो
मताधिकार का प्रयोग करो
इसे वोट देना है
कि
उसे वोट देना है
स्वविवेक का प्रयोग करो|
प्रत्याशी हो ऐसा
जो कुछ कर पाए
देश हित हो सर्वोपरी
कठपुतली ना साबित हो|
जितने लोग उतने विचार
अलग उनकी विचार धारा
किसे चुने रोज सुनते
मन स्थिर ना हो पाता|
जाने क्यूं हतौत्साहित हुआ
पैर भारी होने लगे
कदम बढ़ना नहीं चाहते
लगता है मैं जागरूप नहीं|
अभी तक छबि धुधली सी है
किसे चुनूं मतदान करूँ
हूँ एक नया मतदाता
क्या करूँ समझ न पाता|
आशा
हूँ एक नया मतदाता
क्या करूँ समझ न पाता|
आशा
बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएं--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल सोमवार (21-04-2014) को "गल्तियों से आपके पाठक रूठ जायेंगे" (चर्चा मंच-1589) पर भी होगी!
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सूचना हेतु धन्यवाद सर |
हटाएंकन्फ्यूज़ होने की क्या ज़रूरत है ! उसे वोट करे जिसे वह जिताना चाहता है और जो उसके स्वप्नों के भारत को साकार करने का माद्दा रखता है !
जवाब देंहटाएंहाँ ! बिलकुल सपने में आए खजाने के ठिकाने की तरह.....
हटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
हटाएंटिप्पणी के लिए धन्यवाद |लगरहा है आप भी पहली बार मतदान करेंगी |
जवाब देंहटाएंमतदाता ही है भारत भाग्य विधाता। जरूरी है कि चुन कर आयें सही लोग।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद आशा जी टिप्पणी के लिए |
जवाब देंहटाएंसूचना हेतु धन्यवाद |
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंधन्यवाद रश्मि जी
हटाएंएक वोट देश की जरूरत ........
जवाब देंहटाएंधन्यवाद सर |
हटाएंटिप्पणी हेतु धन्यवाद सर |
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