बनी हर हाथ में
ये चंद लकीरें
रहती सदा उत्सुक
बहुत कुछ कहने को
पर सुनने वाला तो हो |
जीवन का पूरा चिट्ठा
लिखा विधाता ने इनमें
पर सही पढने वाला
कोई तो हो |
जब कोइ हादसा हो
या कोइ समस्या हो
होती क्षमता इनमें
सतर्क करने की
जो हस्त रेखा पढ़ पाए
रेखाएं मस्तिष्क की समझ पाए
जानकार ऐसा तो हो |
कुछ अध्यन करते
सत्य बताते
पर तकदीर की लकीरों पर
विश्वास तो हो |
आशा
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुती,आपका आभार आदरेया।
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया ! हाथ की लकीरों को सही समझने वाला और समझाने वाला भी तो हो ! जानना तो सब चाहते हैं लेकिन विश्वास नहीं कर पाते ! सुंदर रचना !
जवाब देंहटाएंसूचना हेतु धन्यवाद सर |
जवाब देंहटाएंसूचना हेतु धन्यवाद सर |
जवाब देंहटाएंvishwaas jaruri hai ......sundar rachna ....
जवाब देंहटाएंधन्यवाद निशा जी टिप्पणी के लिए |
हटाएंहाथों की चंद लकीरों का, ये खेल है सब तकदीरों का।
जवाब देंहटाएंसत्य कहा आपने |
हटाएंकौन समझ पाया है लकीरों के उलझे जाल को.
जवाब देंहटाएंपर उनके अस्तित्व को भी झुटलाया नहीं जा सकता |
हटाएंधन्यवाद राजीव जी
जवाब देंहटाएंहाथ की लकीरें भी तो म्हणत से पढ़ी जाती हैं ...
जवाब देंहटाएंउसी महनत की लोग कदर नहीं जानते |टिप्पणी हेतु धन्यवाद सर |
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