19 अगस्त, 2014

बेटा ही क्यूं





 वर कैसा हो
बेटी विवाह योग्य
जान न पाया |

दुखी बिटिया
जीना दूभर हुआ
आंसू बहते |


सुलगी देह
दहकते अंगारे
देख न पाया |


बेटी दीखती
धधकती ज्वाला में
सह न पाया |


क्यूं चाहत है
बेटे की बेटी बिना
सोच न पाया |


आशा

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