कितने सार्थक आज
एक बच्चा पल न पाता
झूलाघर को सोंपा जाता
क्या संस्कार पाएगा
सोचने को बाध्य करता |
कितना अकारथ है कहना
दूधो नहाओ पूतो फलो
एक आँख किसकी
बेटी बिन घर अधूरा
बेटा वंश बेल बढ़ाएगा |
सभी आकंठ लिप्त
एक आँख किसकी
बेटी बिन घर अधूरा
बेटा वंश बेल बढ़ाएगा |
सभी आकंठ लिप्त
धन संचय की होड़ में
पीछे रहना नहीं चाहते
आधुनिकता की दौड़ में
यहाँ ममता का क्या काम |
भाषण नारी उत्थान के
भाषण नारी उत्थान के
नारी जागरण की बातें
पर घर में सम्मान कितना
महिलाएं ही जानती हैं
खुद को पहचानती हैं ||
खुद को पहचानती हैं ||
आए दिन की तानेबाजी
घर में दर्जा दासी सा
वे रोज झेलती रहतीं
नियति से करके समझौता
उफ तक नहीं करतीं |
आशीषों का अर्थ खोजती
मन में ग्रंथि बना बैठी
नया महमान यदि आया
क्या न्याय उसे मिल पाएगा
वह कैसे न्याय करेगी |
दौनों में से किसे चुनेगी
नौकरी या माँ की ममता
पहले ही मंहगाई है
घर में बहुत तंगाई है
यदि दौनों को एक साथ चुना
झूला घर आबाद होगा
दौनों के संग न्याय न होगा|
यदि दौनों को एक साथ चुना
झूला घर आबाद होगा
दौनों के संग न्याय न होगा|
आशा
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