बीते कल और आज में
है अंतर स्पष्ट
पहले दबी ढकी बातें थीं
यहाँ वहां निगाहें थी
तब भी राज
कभी ना खुलते
सदा दबे ही रह जाते थे
जीवन के साथ
चले जाते थे
अब सब नजर आते हैं
सीमाएं लांघ जाते हैं
अब सुरा सुन्दरी की चर्चा
आम हो गई 
पहले दबी ढकी थी 
अब सरेआम   हो गयी 
हया का पर्दा उठा 
बेहयाई रोज की 
बात हो गई 
अब राज कोई न रहा 
चर्चा आम हो गई |
आशा 
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
Your reply here: