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08 दिसंबर, 2014
सुख दुःख
साथी सुख के
पल भर में दूर
देख दुःख में |
सुख मन का
तिरोहित हो गया
दुःख को देख|
सुख दुःख में
जब छिड़ा संग्राम
दुःख ही जीता |
मन दुखी है
दर्पण है ही झूठा
सच न बोला |
सुख क्षणिक
दुखों की है दूकान
जीना कठिन |
आशा
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