29 मई, 2015

बूँद

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बूँदें स्नेह की
मन पर पड़तीं
प्यार जतातीं |

बूंदे जल की
धरा पर बरसीं
पृथ्वी सरसी  |


जल संचय
बूँद बूँद से होता
घट भरता |

जल से भरा
सर पर सोहता
घट छलका |

बूँदें जल की
नयनों से बरसीं
रुक न सकीं |

बहते अश्रु
सागर के जल से
कपोल भीगे |

बूँदें ओस की
पुष्पों पर दीखतीं
हुई सुबह |

नव पल्लव
हो गए शवनमी
ओस जल से |


आशा

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