09 फ़रवरी, 2016

सपना

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मेरी धारणा बन गई है 
मन में बस गई है
सपने में जब कोई 
 अपना आता है
उसका कोई 
 संकेत देना कुछ कहना
किसी आनेवाली घटना से
  सचेत कर जाता है
यही ममत्व ह्रदय में
 अपना घर बनाता है 
पर कभी स्वप्न 
अजीब सा होता है 
तब वह केवल 
भ्रम होता स्वप्न नहीं 
अक्सर याद नहीं रहता 
जब भी याद रह जाता 
 एक बात उसमें भी होती 
मुख्य पात्र कहानी का 
जाने अनजाने मैं ही होती 
कभी नदी पार करती 
कभी शिखर पर चढ़ती 
पा कर कप बड़ा सा
पुरूस्कार स्वरुप 
अपने पास सजोती
गर्व से खुश होती  |
आशा


आशा

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