है अद्भुद दृश्य अवन्तिका का |दूर दूर तक फैला है महा कुम्भ मेला
क्षेत्र |यह तीन जोन में बटा है |
ध्वज पताकाओं से चिन्हित किया गया है |जहां भी दृष्टि जाती है ध्वज ही ध्वज दिखाई देते हैं |
ध्वज पताकाओं से चिन्हित किया गया है |जहां भी दृष्टि जाती है ध्वज ही ध्वज दिखाई देते हैं |
बहुत ही सुन्दर समा
हो गया है एक विशेषता यह है कि सभी पताकाएं भगवा रंग में रंगी हैं पर आकार प्रकार
भिन्न हैं |लहराती हुई पताकाएं ऎसी लगती हैं जैसे आसमान छूना चाहती हैं |तरह तरह
से पंडाल सजे हैं|
इस पर्व का प्रारंभ पेशवाइयों
से होता है |उन में साधू संत अपनी ध्वजा के
साथ जुलुस के रूप में निकलते हैं| संतों के साथ उनके भक्त भी निकलते हैं |बहुत
अद्भुद दृश्य होता है |दूर दूर से लोग पेशवाई देखने आते हैं |इस कुम्भ में १० पेशवाई निकाली गई |
उनलोगों का नगर में स्थान स्थान पर स्वागत किया गया | सनातन धर्म को मानने वाले साधू संत जगह जगह जा कर समाज में जागृति फैलाते है सौहार्द्र का सन्देश देते हैं व धर्म में आस्था को गहरा करते हैं |भिन्न भिन्न जगह से आए लोग एक साथ प्रेम भाव से रहते हैं यह समभाव का परिचायक है|पुण्यसलिला क्षिप्रा को मोक्ष् दायनी भी कहा जाता है |हर १२ वर्ष बाद सिंहस्थ का आयोजन इस कारण होता है कि ऐसा कहा जाता है कि समुद्र मंथन के समय जब अमृत निकला उसे पाने के लिए दैत्यों व देवताओं में छीना झपटी होने लगी |तब अमृत का कलश छलका और जहां जहां उसकी बूंदे गिरीं वहाँ सिंहस्थ का आयोजन किया जाने लगा |यह परम्परा बहुत समय से चली आ रही है |
उनलोगों का नगर में स्थान स्थान पर स्वागत किया गया | सनातन धर्म को मानने वाले साधू संत जगह जगह जा कर समाज में जागृति फैलाते है सौहार्द्र का सन्देश देते हैं व धर्म में आस्था को गहरा करते हैं |भिन्न भिन्न जगह से आए लोग एक साथ प्रेम भाव से रहते हैं यह समभाव का परिचायक है|पुण्यसलिला क्षिप्रा को मोक्ष् दायनी भी कहा जाता है |हर १२ वर्ष बाद सिंहस्थ का आयोजन इस कारण होता है कि ऐसा कहा जाता है कि समुद्र मंथन के समय जब अमृत निकला उसे पाने के लिए दैत्यों व देवताओं में छीना झपटी होने लगी |तब अमृत का कलश छलका और जहां जहां उसकी बूंदे गिरीं वहाँ सिंहस्थ का आयोजन किया जाने लगा |यह परम्परा बहुत समय से चली आ रही है |
इस में आनेवाले साधू संत अपने विचारों का आदान प्रदान करते हैं व
भक्तों को अपने धर्म की जानकारी भी वक्तव्यों के माध्यम से देते हैं |
कई जगह हवन आदि का आयोजन
होता है अन्न क्षेत्रों में सब एक साथ मिल कर प्रसादी गृहण करते हैं
|यहाँ आ कर इतना अच्छा लगता है कि मन वहीं ही राम जाता है |इस बार ५ शाही स्नान होंगे |पहला शाही स्नान आज २२ अप्रेल को सम्पन्न हो गया दूसरा स्नान ९ मई को होगा |यह साधू संतों व भक्तों का समागम एक मांह तक चलेगा |
|यहाँ आ कर इतना अच्छा लगता है कि मन वहीं ही राम जाता है |इस बार ५ शाही स्नान होंगे |पहला शाही स्नान आज २२ अप्रेल को सम्पन्न हो गया दूसरा स्नान ९ मई को होगा |यह साधू संतों व भक्तों का समागम एक मांह तक चलेगा |
आशा
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